देश में 21 फरवरी को मनाया जाएगा मातृभाषा दिवस


भाषाई एवं सांस्कृतिक विविधता और बहुभाषावाद के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस का आयोजन करने जा रही है।

मातृभाषा दिवस 21 फरवरी को आयोजित किया जाएगा। अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस दुनिया भर में मनाए जाने वाले यूनेस्को के कैलेंडर कार्यक्रमों का एक हिस्सा है। यूनेस्को ने पहली बार 17 नवंबर, 1999 को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस की घोषणा की थी। औपचारिक रूप से 2008 में संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) ने अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस को मान्यता दी। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने अपने सदस्य राष्ट्रों से दुनिया भर के लोगों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली सभी भाषाओं के संरक्षण को बढ़ावा देने का आह्वान किया है।

मानव संसाधन विकास मंत्रालय 21 फरवरी, 2020 को देशभर में मातृभाषा दिवस मनाएगा। उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू 20 फरवरी को नई दिल्ली में आयोजित होने वाले मुख्य कार्यक्रम में मुख्य अतिथि होंगे। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, संस्कृति एवं पर्यटन राज्य मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल और मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री संजय धोत्रे भी इस कार्यक्रम में शामिल होंगे।

रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा “कार्यक्रम का मुख्य विषय हमारी बहुभाषी विरासत का उत्सव मनाना है जो एक भारत, श्रेष्ठ भारत की भावना को दर्शाता है।”

निशंक ने कहा “मानव संसाधन विकास मंत्रालय शिक्षण संस्थानों और भाषा संस्थानों के साथ मिलकर पिछले तीन वर्षों से मातृभाषा दिवस मना रहा है। इस साल भी शैक्षणिक संस्थान व्याख्यान, वाद-विवाद प्रतियोगिताओं, गायन, निबंध लेखन प्रतियोगिताओं, चित्रकला प्रतियोगिताओं, संगीत एवं नाट्य मंचनों, प्रदर्शनियों, ऑनलाइन संसाधन एवं क्रियाकलापों जैसी गतिविधियों के साथ-साथ संज्ञानात्मक, आर्थिक, सामाजिक एवं बहुभाषी सांस्कृतिक क्रियाकलापों और कम से कम दो या अधिक भाषाओं में भारत की भाषाई एवं भारत की विविध संपदा को दर्शाने वाली प्रदर्शनियों का आयोजन करेंगे।”

देश में 21 फरवरी को कई कार्यक्रम प्रस्तावित हैं जो हमारी भाषाओं और इनके उपयोग एवं साहित्य की संबद्ध विविधता को बढ़ावा देंगे। मातृभाषाओं के उपयोग को बढ़ावा देने और अपने उद्देश्यों को हासिल करने के लिए मानव संसाधन मंत्रालय ने हर साल 21 फरवरी को मातृभाषा दिवस मनाने का निर्णय लिया है।

केंद्रीय मंत्री निशंक के मुताबिक इसका मकसद हमारे देश की भाषाई विविधता को चिन्हित करना, अन्य भारतीय भाषाओं के भी उपयोग को प्रोत्साहित करना है। इसके अलावा भारत में संस्कृतियों की विविधता और साहित्य, शिल्प, प्रदर्शन कला, लिपियों और रचनात्मक अभिव्यक्ति के अन्य रूपों को समझना और ध्यान आकर्षित करना भी अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाने का एक बड़ा उद्देश्य है।

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