सासाराम, बिहार के रोहतास एवं कैमूर जिला में फैले कैमूर वन्यप्राणी आश्रयणी क्षेत्र को टाइगर रिजर्व घोषित किया जा सकता है। इसके लिए वन विभाग के अधिकारी भी प्रयास में जुट गए हैं।
कैमूर के वन प्रमंडल पदाधिकारी विकास अहलावत ने बताया, “इस क्षेत्र में बाघों का आना-जाना लगा रहता है। हाल ही में कई क्षेत्रों में बाघों के भ्रमण करने के प्रमाण मिले थे। इस साल से कैमूर वन्यप्राणी आश्रयणी क्षेत्र को और विकसित करने की योजना बनाई गई है।”
इधर, वन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि रोहतास जिले के चेनारी के औरैया, भुड़कुड़ा एवं दुर्गावती जलाशय वाले इलाके के पहाड़ी पर बाघ के पदचिन्ह देखे गए हैं। सभी जगहों पर देखे गए पंजे के निशान एक ही तरह के हैं। चेनारी में बाघ को देखा भी गया है। रोहतास वन विभाग द्वारा इस बाघ की ट्रैकिंग भी करवाई गई है।
अधिकारी ने दावा करते हुए कहा कि पिछले वर्ष चार नवंबर को तिलौथू क्षेत्र में पहली बार इस बाघ का मल प्राप्त हुआ था, जिसके बाद बाघ के मल को देहरादून स्थित वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के लेबोरेटरी में जांच में भी इसकी पुष्टि की गई है।
कयास लगाए जा रहे हैं कि बाघ झारखंड के टाइगर रिजर्व से पहुंचा हो सकता है।
रोहतास वन प्रमंडल अधिकारी प्रद्युम्न गौरव भी कहते हैं, “तिलौथू क्षेत्र में बाघ आने की पुष्टि के बाद बाघों की ट्रैकिंग की जा रही है। चेनारी वनक्षेत्र में भी बाघ के पदचिन्ह एवं वृक्षों पर भी निशान प्राप्त हुआ है।”