बिहार : जंगली जानवरों पर भी बाढ़ पड़ा भारी

पटना, – बिहार में आई बाढ़ से केवल आम आदमी ही नहीं जंगली जानवर भी परेशान हैं। बाढ़ के कारण आम जनजीवन अस्त व्यस्त होने से ना केवल इंसान बल्कि मूक जंगली जानवरों के लिए भी यह बाढ़ आफत बनी हुई है। नदियों के तेज बहाव को जंगली जानवर खासकर हिरण नहीं झेल पा रहे हैं और वे इस वेग में बह रहे हैं।

इसकी सूचना के बाद हालांकि वन विभाग और ग्रामीण उनको बचाने की कोशिश में जुटा है। एक अनुमान के मुताबिक राज्य के विभिन्न इलाकों में अब तक 200 बह रहे हिरणों को रेस्क्यू कर उन्हें जंगल में छोड़ दिया गया है।

नेपाल के तराई क्षेत्रों लगातार हो रही बारिश से गंडक नदी और दूसरी कई नदियां उफान पर है। पूर्वी चंपारण जिले के सटे वाल्मीकिनगर टाइगर रिजर्व के जंगलों और दियारा क्षेत्रों में गंडक नदी और अन्य नदियों में आई बाढ़ में कई हिरण बह कर मोतिहारी सहित कई अन्य क्षेत्रों में पहुंच रहे हैं।

पूर्वी चंपारण के वन प्रमंडल पदाधिकारी  प्रभाकर झा ने बताया कि अब तक वन विभाग और ग्रामीणों के सहयोग से 100 से अधिक हिरणों को अरेराज, डुमरियाघाट और कल्याणपुर के आसपास के गांवों से बरामद किया जा चुका है।

उन्होंने संतोष प्रकट करते हुए कहा कि वन जीवों के प्रति लोगों की बढ़ी सहानुभूति के कारण ही ग्रामीण लगातार वन विभाग के अधिकारियों को हिरण के आने की सूचना दे रहे हैं। वन विभाग भी हिरण की सूचना मिलते ही त्वरित गति से टीम का गठन कर कार्रवाई कर रही है।

उन्होंने कहा कि कई हिरण नदी में तैर कर बाहर निकल जाते हैं जबकि कई हिरण बहकर आगे निकल जाते हैं। उन्होंने कहा कि अब तक 110 हिरणों को रेसक्यू किया गया है। उन्होंने कहा कि इनमें कई हिरण स्वस्थ होते हैं, जबकि कुछ चोटिल हो जाते हैं।

उन्होंने बताया कि जैसे-जैसे हिरण मिल रहे हैं, उनके स्वास्थ्य की जांच कर उन्हें उदयपुर, मुमराहा, भेंडीहारी जंगल में सही सलामत छोड़ा जा रहा है।

इधर, गंडक में आई बाढ़ में भी कई हिरण बहकर गोपालगंज पहुंच रहे हैं। वन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि पिछले दो दिनों में यहां 42 हिरणों को रेस्क्यू किया गया है।

वन विभाग के एक अधिकारी बताते हैं कि हिरण का स्वभाव चंचल रहता है। किसी तरह का खतरा महसूस होने पर ये बहुत तेज रफ्तार से भागते हैं। इस वजह से ये बाढ़ की पानी की चपेट में आकर बह जा रहे हैं। वैसे ये हिरण संकट के समय मुकाबला भी करते हैं, यही कारण है कि ये कई किलोमीटर बाढ़ में बहने के बाद भी जीवित रह रहे हैं।

गोपालगंज के वन प्रमंडल पदाधिकारी अभिषेक कुमार सिंह कहते हैं, नेपाल और पश्चिमी चंपारण से बड़ी संख्या में हिरण बाढ के पानी में बहकर गोपालगंज और सटे सीवान के इलाके में पहुंच रहे हैं। वन विभाग की टीम विशेष वाहनों से रेस्क्यू कर इन्हें वापस बेतिया के जंगलों में छोड़ने में जुटी है।

अधिकारी ने बताया कि पिछले 24 घंटे के दौरान 20 हिरणों को पानी से बाहर निकाला गया है। उन्होंने कहा कि कई स्थानों पर हिरण बाहर निकलने की कोशिश करते हैं कि लेकिन नदियों के किनारे इंसानों की गतिविधि के कारण फिर वापस लौट जाते हैं, जिससे वे फिर बाढ़ की चपेट में ही आ जाते हैं।

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