बिहार सरकार ने सहजन के गुण और उपयोग के कारण राज्य में अब सहजन की खेती को बढ़ावा देने का निर्णय लिया है।
सरकार का मानना है कि सहजन के विकसित प्रभेदों की खेती को बढ़ावा देकर न सिर्फ स्थानीय बल्कि दूर-दराज के बाजारों में सब्जी के रूप में सालों भर उपलब्धता सुनिश्चित कराई जा सकेगी, जिससे किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत हो सकेगी। राज्य के कृषि मंत्री प्रेम कुमार ने बुधवार को बताया कि दक्षिण बिहार के 17 जिलों में सहजन की खेती कराई जाएगी। इसके लिए किसानों को सरकार 50 प्रतिशत अनुदान देगी।
उन्होंने कहा कि सहजन की खेती पर प्रति हेक्टेयर लागत 74 हजार रुपये है, जिसमें 37़ 5 हजार रुपये अनुदान मिलेगा। वर्ष 2019-20 एवं 2020-21 दो वर्षो में सहजन की खेती के लिए 353.58 लाख रुपये की योजना स्वीकृत है।
कृषि मंत्री कुमार ने कहा कि यह योजना गया, औरंगाबाद, नालंदा, पटना, रोहतास, कैमूर, भागलपुर, नवादा, भोजपुर, जमुई, बांका, मुंगेर, लखीसराय, बक्सर, जहानाबाद, अरवल एवं शेखपुरा के किसानों के लिए है। उन्होंने कहा कि अनुदान राशि दो किस्तों में मिलेगी। उन्होंने कहा कि पहली किस्त में 27,780 रुपये और दूसरी किस्त में 9250 रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से भुगतान किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि दूसरी किस्त की राशि 90 प्रतिशत सहजन का पौधा जीवित रहने पर ही दिया जाएगा। उन्होंने सहजन की विशेषता बताते हुए इसे बहुपयोगी पौधा कहा। उन्होंने कहा कि इसके सभी भागों का उपयोग भोजन, दवा और औषधीय कायरें के लिए किया जा सकता है।
भारत में सहजन के पारंपरिक प्रजाति के पौधों के अलावा कई प्रजाति विकसित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि किसान बेकार पड़ी जमीनों पर भी इसकी खेती कर लाभ कमा सकेंगे।