महिला सशक्तीकरण दावे को मुंह चिढ़ाता यूपी का डुमरियाडीह गांव

“उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के डुमरियाडीह गांव के सोनकर पुरवा की 65 फीसदी महिलाएं विधवा हैं।”

गोंडा जिले के डुमरियाडीह गांव की स्थिति महिला सशक्तीकरण दावे को मुंह चिढ़ा रही है। गरीबों की स्वास्थ्य सुरक्षा गारंटी भी सिर्फ कागजों में है। यहां न स्वास्थ्य महकमा आता है, और न ही प्रशासनिक अमला बेकसूर विधवाओं को संकटपूर्ण स्थित से उबारने का प्रयास कर रहा है। शराब के कारण यहां के लोगों की अधिकतम उम्र 40 से 58 साल तक सिमट कर रहा गई है।

जिला मुख्यालय से 17 किलोमीटर दूर गोंडा-अयोध्या हाईवे पर स्थिति वजीरगंज विकास खंड के डुमरियाडीह ग्राम पंचायत के सोनकर पुरवा की कुल आबादी 205 लोगों की है। इसमें 70 पुरुष, 55 महिलाएं और 1 से 13 वर्ष उम्र के कुल 80 बच्चे हैं। करीब 65 फीसदी महिलाएं विधवा हो गई हैं।

वजह, इनके शराबी पतियों की मौत 60 साल की उम्र पूरा करने से पहले ही हो जाती है। यहां अवैध कच्ची शराब का कारोबार जमा हुआ है। इस कारण पुरवे का कोई भी व्यक्ति अब तक वृद्धावस्था पेंशन नहीं ले सका है। इतना ही नहीं, जन्म लेने वाले बच्चे भी कुपोषित हैं। प्रशासनिक और स्वास्थ्य अमला इन्हें भाग्य भरोसे छोड़ चुका है।

राम बख्श सोनकर (58) ने कहा कि इलाके में कई दशकों से कच्ची का कारोबार हो रहा है। ज्यादातर परिवार रोजी-रोटी के लालच में शराब के धंधे से जुड़ते गए। यहां के पुरुष शराब के आदी होने लगे। यही, अब अभिशाप बन गया है।

सोनकर कहते हैं कि बीते सात-आठ वर्षो में कच्ची शराब ने गांव में कोहराम मचा दिया है। गांव का लगभग हर तीसरा व्यक्ति इसकी भेंट चढ़ चुका है। इनमें नौजवान ज्यादा हैं। वे औसत आयु भी पूरी नहीं कर पा रहे हैं।

विधवा राजकुमारी का दर्द गहरा है। 50 की उम्र में पति की मौत हो गई। बच्चों को पालने को रोज मजदूरी करनी पड़ रही है।

हालांकि, गांव की महिलाएं शराब के अवैध कारोबार के खिलाफ समय-समय पर अपनी आवाज बुलंद करती रही हैं, लेकिन उन्हें समर्थन नहीं मिल पाता है।

एक ग्रामीण रमेश का कहना है कि गांव में शराब के कारण हर साल 35 से 38 लोग मर रहे हैं। यहां चारों ओर शराब की दरुगध फैली रहती है। लोग अक्सर बीमार पड़ते रहते हैं। बावजूद इसके, स्वास्थ्य महकमा इधर कभी झांकने नहीं आया।

रोजगार को लेकर भी युवा रमेश का दर्द भी छलका। इनकी मानें तो अब यहां पर रोजगार का कोई जुगाड़ नहीं है, जिससे पीढ़ियां सुधर सकें। गांव के लोगों को सरकारी योजनाओं के बारे में जानकारी भी नहीं है।

डुमरियाडीह ग्राम पंचायत की प्रधान उषा मिश्रा के प्रतिनिधि राजकुमार यादव ने कहा, “हमने इस गांव को विकास से जोड़ने का प्रयास किया है। शराब की बिक्री रोकने के लिए प्रयास किए गए। बावजूद इसके, सफलता नहीं मिल पाई। शराब बनाने से निकले अपशिष्टों के बदबू की वजह से सफाईकर्मी भी ठीक से काम नहीं कर पाते।”

गोंडा के जिलाधिकरी नीतिन बसंल का कहना है कि अभी मामला संज्ञान में आया है। जल्द ही टीम भेजकर पूरे मामले की वृहद जांच कराई जाएगी।

-विवेक त्रिपाठी

इसे शेयर करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *