हरियाणा की कांग्रेस इकाई के पूर्व अध्यक्ष अशोक तंवर ने पार्टी का दामन छोड़ने के बाद 21 अक्टूबर को राज्य के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की हार के लिए पूरा जोर लगाने का फैसला किया है। उनकी योजना प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में किसी भी पार्टी के प्रत्याशी, यहां तक कि निर्दलीय उम्मीदवारों को भी समर्थन देने की है, ताकि कांग्रेस को हराया जा सके।
उन्होंने हालांकि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को एकतरफा समर्थन नहीं देने का फैसला किया है। तंवर ने आईएएनएस से मुलाकात में कहा कि वह यह सुनिश्चित करने की कोशिश करेंगे कि कांग्रेस हरियाणा की 90 सदस्यीय विधानसभा में पांच से अधिक सीटें न जीत पाए।
राज्य इकाई प्रमुख के पद से हटाए जाने के बाद पिछले सप्ताह ही तंवर ने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। अब उनका कहना है कि वह उन उम्मीदवारों का समर्थन करेंगे, जो अच्छी छवि के हैं।तंवर ने कहा, “शुरू में मैंने 85 पार का नारा दिया था, लेकिन अब यह कांग्रेस ही होगी जो कम से कम 85 सीटों पर हार जाएगी।”
उन्होंने फिलहाल रोहतक में अपना आधार बनाया है, जो कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का गढ़ माना जाता है। उन्होंने अपने अगले कदम के लिए समर्थकों को प्रतीक्षा करने के लिए कहा है।
अनुसूचित जाति से आने वाले तंवर की जगह कांग्रेस ने कुमारी शैलजा को प्रदेश अध्यक्ष बनाया है, जोकि इसी वर्ग से आती हैं।
तंवर के निकलने से हुए नुकसान को नियंत्रित करने के लिए कांग्रेस पार्टी के पास बहुत कम समय है। हरियाणा में चुनाव की संभावनाओं पर चर्चा कर रहे तीन कांग्रेस नेताओं के एक वायरल वीडियो ने स्थिति को और भी खराब बना दिया है।
इस बीच, मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि तंवर को भाजपा में नहीं लिया जाएगा। इस पर सवाल पूछे जाने पर कि तंवर ने कहा कि वह भाजपा में शामिल होने के इच्छुक नहीं हैं, लेकिन भगवा पार्टी ने उनसे कई बार संपर्क जरूर किया था।