अफ्रीका की जैव विविधता, पर्यावरण और पर्यटन, अर्थव्यवस्था को दे सकती हैं “नई ऊंचाई”

पिछले कुछ सालों में पर्यटन का लगातार विकास हुआ है और आधुनिक युग में मानव कार्यकलापों में पर्यटन महत्त्वपूर्ण होता जा रहा है। जहां आज पर्यटन उद्योग राष्ट्रीय एवं अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर पर्यटन उद्योग बहुत तीव्रता से विकसित हो रहा है और एक प्रमुख आर्थिक शक्ति के रूप में उभर रहा है, वहीं आधुनिक पर्यटन काफी हद तक पर्यावरण पर भी आधारित है। या हम यूं कह सकते हैं कि पर्यटन में दो अन्योन्य क्रियाशील घटक सम्मिलित हैं- पर्यटक और पर्यावरण। और इन दोनों का मेल विश्व में सबसे ज्यादा चार अफ्रीका देश-केन्या, रवांडा, दक्षिण अफ्रीका और जिम्बाब्वे में मिलता है। जहां पर्यटन उद्योग उन देशों की अर्थव्यवस्था का प्रमुख घटक भी है। हालांकि, अन्य अफ्रीकी देशों में अपार क्षमता होने के बावजूद अब तक उनका भरपूर इस्तेमाल नहीं हो पाया है।

हाल ही में जारी एक रिपोर्ट कहा गया है कि, “पर्यटन विकसित करने के लिएअफ्रीकी देश अपने संरक्षित क्षेत्रों में बहुत कुछ कर सकते हैं, जिससे ग्रामीण इलाकों में रोजगार के अवसर के साथ-साथ समाज की अर्थव्यवस्था औऱ पर्यावरण में सुधार होगा।”

अफ्रीका की जैव विविधता इस महाद्वीप की अर्थव्यवस्था को “नई ऊंचाई” दे सकती है, लेकिन वर्तमान में कई सरकारें सीमित बजट के बावजूद वन एवं पर्यावरण संरक्षण की कोशिश कर रही हैं, कंजरवेशन ऑरगेनाइजेशन स्पेस जाइंट्स क्लब और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण प्रोग्राम जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है।
अपने वन्य जीवन और जंगली स्थानों को संरक्षित करने के लिए, सरकारों को न केवल पर्यावरणीय संपत्ति के रूप में बल्कि आर्थिक रूप से संरक्षित क्षेत्रों पर भी ध्यान देना चाहिए, महाद्वीप के 8,400 संरक्षित क्षेत्रों में राजस्व में यूएस $ 48 बिलियन का उत्पादन होता है।

रिपोर्ट के मुताबिक, प्रकृति आधारित पर्यटन कई लोगों की आजीविका में सुधार कर सकता है क्योंकि यह कृषि की तुलना में 40 प्रतिशत अधिक पूर्णकालिक रोजगार उत्पन्न करता है और अन्य क्षेत्रों की तुलना में महिलाओं के लिए अधिक अवसर प्रदान करता है।

स्पेस फॉर जायंट्स क्लब के कार्यकारी निदेशक ओलिवर पोल ने कहा कि संगठन “दृढ़ता से विश्वास” करता है कि एक स्थायी तरीके से किया गया सही प्रकार का प्रकृति-आधारित पर्यटन एक शक्तिशाली संरक्षण उपकरण है।

“क्योंकि यह स्थानीय समुदाय के लिए रोजगार पैदा करता है, और यह आगंतुकों को राष्ट्रीय उद्यानों में लाता है, जिससे वन्यजीव सेवाओं के लिए धन इक्ट्ठा होता है, जिसमें अक्सर सीमित बजट होते हैं,” ओलिवर पोल ने कहा। “लेकिन, यह एक प्रकृति-आधारित पर्यटन क्षेत्र का निर्माण भी शुरू करता है जो करों का भुगतान करता है और अर्थव्यवस्थाओं को मजबूती प्रदान करता है, जिससे उन्हें राष्ट्रीय महत्व मिलता है।”

अफ्रीका के पर्यटन के लिए वन्यजीव सबसे बड़ा राजस्व का स्रोत है, संयुक्त राष्ट्र के विश्व पर्यटन संगठन ने बताया कि एक आकड़े के मुताबिक अफ्रीका में पर्यटकों की सलाना यात्रा का 80 प्रतिशत वन्यजीव देखने के लिए था। और जैसा कि अनुमान है कि वर्तमान 62 मिलियन से 2030 तक महाद्वीप में आगंतुकों की संख्या दोगुनी हो जाएगी, रिपोर्ट का तर्क है कि इससे अतिरिक्त राजस्व प्राप्त हो सकता है।

नौ यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों वाला अफ्रीका देश इथियोपिया, 2016 में किसी भी स्थल पर 50,0000 से ज्यादा पर्यटकों को आकर्षित करने में सक्षम नहीं था। इन नंबरों को सुधारने के लिए, रिपोर्ट में कहा गया है कि कोस्टा रिका या दक्षिण अफ्रीका की तहर देश को राष्ट्रीय उद्यानों की बुनियादी ढांचे मेंऔर इसकी अनूठी विशेषताओं पर निवेश करने की आवश्यकता होगी।

रिपोर्ट में कहा गया है कि अफ्रीकी महाद्वीप में जिस प्रकार आबादी, गरीबी, अवैध वन्यजीव व्यापार और जलवायु परिवर्तन तेजी से बढ़ रहे हैं, संरक्षित क्षेत्र पर्यटन उद्योग के रूप में उबरने से पहले नष्ट हो जाएंगे। अफ्रीका में कई जगहों पर पहले से ही पार्क विकसित किए गए हैं जो उनकी प्राकृतिक और संरक्षित क्षेत्रों के लिए खतरा हैं, जबकि कई अन्य तेल, खनिज और अन्य गतिविधियों को निकालने की योजना बना रहे हैं।

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण के वन्यजीव विशेषज्ञ डोरेन रॉबिन्सन ने कहा कि सरकारों के लिए यह महत्वपूर्ण था कि वे अफ्रीका में प्रकृति-आधारित पर्यटन की पूरी क्षमता का एहसास करने के लिए निजी, सामुदायिक और गैर-लाभकारी संगठनों के साथ साझेदारी विकसित करें और इस प्रकार भविष्य की पीढ़ियों के लिए वन्यजीव सुनिश्चित करें।

उन्होंने कहा, “आकर्षक पर्यटन सेवाओं और उत्पादों को विकसित करने के लिए निजी निवेश और जानकारी की आवश्यकता है, जबकि अच्छे सार्वजनिक प्रबंधन को समान व्यावसायिक प्रथाओं और वन्यजीवों के संरक्षण में मुनाफे का पुनर्निवेश सुनिश्चित करना चाहिए।” उन्होंने कहा कि “अंततः इससे अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा, प्रकृति की रक्षा और मानव विकास का भी समर्थन करने में सक्षम है।”

यूएन की रिपोर्ट के मुताबिक केवल चार अफ्रीकी देशों का जिक्र किया गया है, जिनमें पर्यटन उद्योग की आपार संभावनाएं हैं। वो हैं -केन्या, रवांडा, दक्षिण अफ्रीका और जिम्बाब्वे , जो विश्व के प्रमुख प्रकृतिक पर्यटन स्थल हैं, जहां हर साल में 20 से 50 लाख आगंतुक जाते हैं। लेकिन, इसके बादजूद सुधार के लिए बहुत कुछ है, विशेष रूप से पश्चिमी अफ्रीका में उष्णकटिबंधीय वन और समुद्र तट, जिनके पर्यटन क्षमता को पूरी तरह से इस्तेमाल नहीं किया गया है।

उन सभी देश के सरकारों को पर्यटन क्षमता वाले संरक्षित क्षेत्र से ज्यादा सा ज्यादा हासिल करने के लिए, उन्हें राष्ट्रीय पर्यटन योजनाएं बनानी चाहिए और देश की आर्थिक योजनाओं में एकीकृत करना चाहिए – इस तरह, उन वन क्षेत्रों को वो संसाधन औऱ महत्व मिल सकेगा जिनके वे हकदार हैं।

– डा. म. शाहिद सिद्दीकी
                                                                                                                                                                        Twitter @shahidsiddiqui

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