आलू से सब सेक्टर के लिए नईनीति बनाने का समय आ गया है : मोदी


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आलू से जुड़े क्षेत्र के लिए नई नीति और अनुसंधान का एजेंडा तय करने की बात कही है।

उन्होंने तीसरे विश्व आलू सम्मेलन को संबोधित करते हुए मंगलवार को कहा कि आलू की उपयोगिता देखते हुए इससे जुड़े क्षेत्र के लिए नई नीति और अनुसंधान एजेंडा तय करने का समय आ गया है। मोदी ने कहा, “आलू की उपयोगिता को देखते हुए पोटेटो सब सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए नई पॉलिसी और रिसर्च एजेंडा का समय आ गया है। इस पॉलिसी और एजेंडा के मूल में हंगर और पॉवर्टी से लड़ाई और ग्लोबल फूड सिक्योरिटी होनी चाहिए।”

गुजरात की राजधानी गांधीनगर में आयोजित तीन दिवसीय विश्व आलू सम्मेलन-2020 को वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने सम्मेलन में पहुंचे वैज्ञानिकों और कृषि विशेषज्ञों से कहा, “यह सफलता पाने में आप सभी पूरी तरह सक्षम हैं। यह आप सभी के प्रयासों से संभव हुआ है कि 19वीं सदी में आलू की बीमारी के कारण यूरोप और अमेरिका में जो स्थिति बनी वह स्थिति वैज्ञानिकों के प्रयास और जागरूकता के परिणमस्वरूप दोबारा नहीं आई। 21वीं सदी में कोई भूखा और कूपोषित न रहे इसकी भी बड़ी जिम्मेदारी हम सभी के कंधे पर है, चाहे किसान हों, वैज्ञानिक हों या फूड प्रोसेसिंग में काम करने वाले प्रगतिशील व्यापारी हों, हम सभी की यह एक सामूहिक जिम्मेदारी है।”

मोदी ने कहा कि ‘इस कॉन्क्लेव की खास बात यह भी है कि यहां पोटेटो कॉन्क्लेव, एग्री एक्सपो और पोटेटो फील्ड डे तीनों एक साथ हो रहे हैं।

उन्होंने कहा, “मुझे बताया गया है कि करीब छह हजार किसान फील्ड डे के मौके पर गुजरात के खेतों में जाने वाले हैं। यह एक सराहनीय कदम है।”

मोदी ने कहा कि बीते दो दशकों में गुजरात देश में आलू का उत्पादन और निर्यात का हब बनकर उभरा है। उन्होंने कहा कि आलू की उत्पादकता के मामले में गुजरात देश का पहले नंबर का राज्य है और प्रदेश के किसान इसलिए अभिनंदन के अधिकारी हैं।

उन्होंने कहा कि बीते 10-11 साल में जहां भारत का कुल आलू उत्पादन 20 फीसदी की दर से बढ़ा है, वहीं गुजरात में 170 फीसदी की दर से बढ़ा है।

प्रधानमंत्री ने कहा, “गुजरात में आलू उत्पादन की क्वांटिटी और क्वालिटी में यह वृद्धि बीते दो दशक में की गई नीतिगत पहल, नीतिगत फैसले और सिंचाई की आधुनिक और पर्याप्त सुविधाओं के कारण हुई है।”

उन्होंने कहा कि बेहतर नीतिगत फैसलों के कारण आज देश के बड़े आलू प्रसंस्करण इकाइयां गुजरात में हैं और ज्यादातर आलू निर्यात भी गुजरात से होता है। उन्होंने कहा कि गुजरात में कोल्ड स्टोरेज का एक बड़ा और आधुनिक नेटवर्क है, जिनमें अनेक विश्वस्तरीय सुविधाएं उपलब्ध हैं। साथ ही, सुजलां सुफलां और सौणी योजना के माध्यम से गुजरात के उन क्षेत्रों में भी सिंचाई की सुविधा पहुंची है जो कभी सूखे से प्रभावित रहते थे।

गांधीनगर में मंगलवार को तीसरे विश्व आलू सम्मेलन का आगाज हुआ। तीन दिवसीय इस सम्मेलन में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे हैं।

प्रधानमंत्री जब सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे, उस समय वहां गुजरात के मुख्यमंत्री विजयभाई रूपाणी और केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री पुरुषोत्तम रूपाला समेत कृषि विभाग के अधिकारी और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के महानिदेशक त्रिलोचन महापात्रा मौजूद थे।

चीन के बाद भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा आलू उत्पादक देश है, जबकि देश के कुल आलू उत्पादन का एक फीसदी भी निर्यात नहीं होता है। एक दिन पहले कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी बागवानी फसलों के पहले अग्रिम उत्पादन अनुमान के अनुसार, देश में आलू का उत्पादन इस साल 2019-20 में 519.4 लाख टन होने का आकलन किया गया है, जबकि निर्यात चार लाख टन से भी कम होता है। देश आलू के कुल उत्पादन में गुजरात का योगदान करीब 25 फीसदी है।

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