इथोपिया में मिली 38 लाख साल पुरानी मानव खोपड़ी, खुलेंगे होमिनिड्स के कई राज

अदीस अबाबा (एएफपी)। इथोपिया में पुरातत्वविदों को 38 लाख साल पुरानी एक खोपड़ी का अवशेष मिला है, जो मनुष्य के विकास के बारे में हमारी वर्तमान समझ को बदल सकता है।

वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यह किसी छोटे लूसी (प्राचीन मनुष्य की प्रजाति) का अवशेष होगा, जो मानव के विकास के संबंध में अब तक की अवधारणाओं को पूरी तरह बदल सकता है। नेचर नामक पत्रिका में इस खोपड़ी के बारे में विस्तार से बताया गया है। शोधकर्ताओं ने इस खोपड़ी को ‘एमआरडी’ के नाम दिया है।

क्लीवलैंड म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री के पुरातत्वविद योहानेस हैले सेलासी ने कहा कि यह खोपड़ी लगभग तीन लाख वर्ष से अधिक पुराने होमीनिड का जीवाश्म है। लंदन के नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम के फ्रेड स्पूर ने कहा कि यह मानव विकास का एक और प्रतीक बनने के लिए तैयार है।

पुरातत्वविदों ने वर्ष 2001 में चाड में टूमई (सहेलंथ्रोपस टेडेंसिस की प्रजाति के जीव) के लगभग सात लाख वर्ष पुराने अवशेष खोजे थे, जिन्हें मानव वंश का पहला प्रतिनिधि माना जाता है। अर्डी (होमीनिड की एक अन्य प्रजाति) 1994 में इथोपिया में पाई गई थी और माना जाता है कि यह लगभग 45 लाख साल पुरानी है और लूसी के अवशेषों को इथोपिया में ही वर्ष 1974 में खोजा गया था, जो लगभग 32 लाख वर्ष पुराने हैं। लूसी को ऑस्ट्रेलोपिथेकस एफरेंसिस भी कहा जाता है। यह सबसे लंबे समय तक जीवित रहने वाला और सबसे अधिक अध्ययन की जाने वाली प्रारंभिक मानव प्रजाति है।

शोधकर्ताओं ने कहा कि पुरातत्ववेत्ताओं ने जो नई खोपड़ी ‘एमआरडी’ खोजी है, वह ऑस्ट्रेलोपेथेकस एनामेंसिस प्रजाति के जीवों से संबंधित है। फरवरी 2016 में पूवरेत्तर इथोपिया के अफार क्षेत्र में वर्नसो-मिल की एक साइट पर खोदाई के दौरान लूसी के कुछ अवशेष मिले थे। पहली नजर में यह आधुनिक मनुष्यों की खोपड़ी की तरह ही दिखाई देती है। शोधकर्ताओं ने कहा कि ऑस्ट्रेलोपेथेकस के बारे में लोग अभी बहुत ज्यादा नहीं जानते। पुरातत्वविदों को इसका जो जीवाश्म मिला है, वह लगभग 39 लाख साल पुराना है।

शोधकर्ताओं ने कहा कि इन जीवाश्मों के मिलने से लाखों साल पहले विलुप्त हो चुके होमिनिड्स के बारे में कई अहम जानकारियां मिल सकती है। शोधकर्ताओं का अनुमान है कि यह खोज मानव विकास के बारे में मौजूद वर्तमान विश्वास को चुनौती दे सकती है।

अध्ययन के सह-लेखक और मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट फॉर इवोल्यूशनरी एंथ्रोपोलॉजी के स्टेफनी मेलिलो ने कहा कि पहले हमारा अनुमान था कि एनामेंसिस (एमआरडी) समय के साथ धीरे-धीरे एफरेंसिस (लुसी) में बदला होगा, लेकिन होमीनिड के जीवाश्मों के अध्ययन से पता चलता है कि इन दोनों प्रजातियों का अस्तित्व लगभग दस लाख वर्षो तक रहा। इसका मतलब है कि यह मानव विकास की हमारी समझ को बदल कर रख सकता है।

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