“ जलवायु परिवर्तन पर एक्शन एवं एंबिशन (महत्वकांक्षा) के लिए COP-25 एक अहम पड़ाव”

चीन द्वारा जलवायु परिवर्तन पर सलाना रिपोर्ट जारी करने के ठीक एक दिन बाद भारत ने भी जलवायु परिवर्तन पर अपना रुख स्पष्ट कर दिया है। भारत एक रचनात्मक और सकारात्मक ²ष्टिकोण के साथ बातचीत में शामिल होगा और अपने दीर्घकालिक विकास हितों की रक्षा के लिए काम करेगा। इस बात की मुहर बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में लगा दी गई।

इसके साथ ही संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (यूएनएफसीसीसी) के आगामी 25वें सम्मेलन (सीओपी) में भारत के वार्ता रुख को मंजूरी मिल गई।  यह बैठक 2 से 13 दिसंबर के बीच स्पेन के मैड्रिड (चिली की प्रेसीडेंसी के तहत) में आयोजित होने वाली है। इससे पहले भारत में स्थित स्पेन दूतावास में शुक्रवार को एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें चिली औऱ यूरोपीयन यूनियन के राजदूतों ने अपने-अपने रूख स्पष्ट किए। चिली राजदूत श्री जुवान एंगुलो ने जहां समुद्री प्रदूषण पर अतिशीघ्र कार्रवाई को अहम मुद्दा बताया और कॉप -25 को ब्लू कॉप के नाम संबोधित करने की भी सलाह दी। वहीं भारत में यूरोपीयन यूनियन के राजदूत श्री युगो अस्तुतो ने साइंटीफिट आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि अब चर्चा और विचार का वक्त नहीं है, बल्कि सिर्फ कार्रवाई करने की जरूरत है। ताकि हम निश्चित समय में जलवायु परिवर्तन को काबू कर सकें और आने वाली पीढी के लिए साफ सुथरा वातावरण छोड़ सकें।

हालांकि भारत भी अपने कार्यों में महत्वाकांक्षी रहा है। और इसने इस बात पर जोर दिया है कि विकसित देशों को महत्वाकांक्षी कार्यों को अंजाम देना चाहिए और 2020 तक प्रति वर्ष 100 अरब डॉलर जुटाने की अपनी जलवायु वित्त प्रतिबद्धताओं को पूरा करना चाहिए। भारत विकसित देशों द्वारा 2020 से पूर्व प्रतिबद्धताओं को पूरा करने की आवश्यकता पर जोर देगा। भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर करेंगे। सीओपी-25 एक महत्वपूर्ण सम्मेलन है, क्योंकि विभिन्न देश पेरिस समझौते व क्योटो प्रोटोकॉल के तहत 2020 से पूर्व की अवधि से 2020 के बाद की अवधि के लिए जाने की तैयारी कर रहे हैं।

एक आधिकारिक बयान के अनुसार, भारत के दृष्टिकोण को यूएनएफसीसीसी और पेरिस समझौते के सिद्धांतों और प्रावधानों द्वारा निर्देशित किया जाएगा। भारत सरकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जलवायु परिवर्तन संबंधी चिंताओं को दूर करने के लिए कई पहलें की हैं और ये पहल भारत की जलवायु कार्रवाई के प्रति प्रतिबद्धता और महत्वाकांक्षा को दशार्ती हैं। संयुक्त राष्ट्र महासचिव द्वारा हाल ही में आयोजित जलवायु एक्शन समिट में प्रधानमंत्री ने अक्षय ऊर्जा लक्ष्य को 450 गीगावॉट तक बढ़ाने पर भारत की योजना की घोषणा की है।

आइए एक नजर डालते हैं “सीओपी-25” पर और जानते हैं इनके पीछे की कहानी। जैसे, –  आखिर यूनाइटेड नेशन( संयुक्त राष्ट्र) फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (यूएनएफसीसीसी) का  “सीओपी-25” यानि “कांफ्रेंस ऑफ पार्टीज-25” है क्या? और आखिर ये अचानक चर्चा का विषय क्यों बन गया है?

मालूम हो कि हाल ही में चिली ने सेंटियागो में ‘संयुक्त राष्ट्र का जलवायु परिवर्तन पर फ्रेमवर्क कन्वेंशन’ (United Nations Framework Convention On Climate Change- UNFCCC) द्वारा आयोजित जलवायु परिवर्तन सम्मेलन COP-25 की मेज़बानी में असमर्थता जताई है। इसका कारण था चिली में बढ़ता विरोध प्रदर्शन।  जिसे देखते हुए चिली ने 2 दिसंबर से 13 दिसंबर तक होने वाले जलवायु परिवर्तन सम्मेलन COP-25 के आयोजन में असमर्थता जताई थी। और अगर इस बार COP-25 का आयोजन दिसंबर में नहीं हो पाता है तो 1995 के बाद यह पहली बार होगा जब किसी कैलेंडर वर्ष में UNFCCC के COP सम्मेलन का आयोजन नहीं हुआ।

इससे पहले 2017 में फिजी ने भी इतने बड़े सम्मेलन के लिये संसाधनों की कमी बताते हुए इसके आयोजन से इनकार कर दिया था और उस साल यह सम्मेलन जर्मनी के बॉन में आयोजित किया गया था। आमतौर तौर पर अमीर देश इस सम्मेलन की मेज़बानी से कतराते रहे हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका, पश्चिमी यूरोप के कई देशों तथा ऑस्ट्रेलिया ने इस सम्मेलन की मेज़बानी कभी नहीं की है। अब तक इस सम्मेलन का आयोजन हर साल विश्व के अलग-अलग क्षेत्रों में किया जाता रहा है। इस साल COP-25 के आयोजन की जिम्मेदारी दक्षिण अमेरिका महाद्वीप में स्थित चिली को सौंपी गई थी। हालांकि चिली ने एक अन्य कारण बताते हुए कहा कि “उसने इसी साल नवंबर में ‘एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग’ (Asia Pacific Economic Cooperation- APEC) के प्रमुखों के शिखर सम्मेलन की मेज़बानी की है, इसलिए वह दिसंबर में एक और अन्य बड़े सम्मेलन के आयोजन के लिये स्वयं को तैयार नहीं कर सकता।”

आइए अब जानते हैं, आखिर यूनाइटेड नेशन( संयुक्त राष्ट्र) फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (यूएनएफसीसीसी) का  “सीओपी-25” यानि “कांफ्रेंस ऑफ पार्टीज-25” है क्या औऱ इसके आयोजन का मकसद क्या है?

UNFCCC जलवायु परिवर्तन पर प्रथम बहुपक्षीय कन्वेंशन था। साल 1992 में आयोजित पृथ्वी शिखर सम्मेलन में तीन कन्वेंशन की घोषणा की गयी थी, उनमें से एक UNFCCC का उद्देश्य जलवायु तंत्र के साथ खतरनाक मानवीय हस्तक्षेप को रोकना है।

यह कन्वेंशन 21 मार्च, 1994 से प्रभाव में आया था। फिलहाल 197 देशों ने इस कन्वेंशन को सत्यापित किया है, यही देश कॉन्फ्रेंस के पार्टीज़ (Conference of Parties) कहलाते हैं और इन्हीं देशों की जलवायु परिवर्तन पर वार्षिक बैठक को COP सम्मेलन कहते हैं । यूनाइटेड नेशन( संयुक्त राष्ट्र) फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (यूएनएफसीसीसी) का पहला  COP यानि “कांफ्रेंस ऑफ पार्टीज” सम्मेलन वर्ष 1995 में बर्लिन में हुआ था। मालूम हो कि संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन पर फ्रेमवर्क कन्वेंशन का सचिवालय जर्मनी के बॉन में स्थित है।

हालांकि इस बार 2019 संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन COP-25 का आयोजन स्पेन की राजधानी मैड्रिड में  2 से 13 दिसंबर तक होने जा रहा है। जहां सभी देश मिलकर वर्तमान जलवायु के हालात से निपटने के लिए सामुहिक मंथन करेंगे।  संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन पर फ्रेमवर्क कन्वेंशन के सचिवालय ने इसकी घोषणा 1 नवंबर को कर दी थी।

डॉ. म शाहिद सिद्दीकी

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