दिल्ली: जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में पीएचडी और लैब की आवश्यकता वाले अन्य छात्रों को कैंपस में आने की अनुमति दी जा रही है। चरणबद्ध तरीके से जेएनयू परिसर को सोमवार से 50 फीसदी क्षमता के साथ खोला जा रहा है।
जेएनयू कैंपस को सोमवार 6 सितंबर से चरणबद्ध तरीके से खुल जाएगा। पीएचडी छात्रों को कैंपस में प्रवेश की अनुमति दी गई है ताकि पीएचडी के छात्र तय समय सीमा के अन्तर्गत 31 दिसंबर तक अपनी थीसिस पूरी कर लें।
जेएनयू प्रशासन के मुताबिक दिव्यांग छात्रों को भी अब विश्वविद्यालय आ सकेंगे। इसके साथ ही जेएनयू प्रशासन ने बीआर अंबेडकर सेंट्रल लाइब्रेरी भी 50 फीसदी कैपेसिटी के साथ खोलने का निर्णय लिया है।
हालांकि शेष छात्र अभी भी मानसून सेमेस्टर की पढ़ाई ऑनलाइन ही करेंगे। जेएनयू प्रशासन का कहना है कि बावजूद इसके अभी भी सामान्य कक्षाएं और परीक्षाएं ऑनलाइन ही आयोजित की जाएंगी।
वहीं दूसरी ओर दिल्ली विश्वविद्यालय भी चरणबद्ध तरीके से कैंपस गतिविधियों को शुरू करने की योजना बना रहा है। इसके लिए विश्वविद्यालय में एक उच्च स्तरीय बैठक भी की गई है।
वहीं जिन राज्यों में संक्रमण दर अधिक है। वहां से आने वाले छात्रों के लिए विभिन्न विश्वविद्यालय अलग गाइडलाइन बना रहे हैं। इनमें केरल, नॉर्थ-ईस्ट और महाराष्ट्र जैसे राज्य प्रमुख हैं। यहां से आने वाले छात्रों को 72 घंटे की आरटीपीसीआर नेगेटिव रिपोर्ट के अलावा वैक्सीन की दोनो डोज लगवाना अनिवार्य किया जा सकता है।
दिल्ली में दिल्ली डिजास्टर मैनेजमेंट कमेटी ने भी स्कूल कॉलेज खोले जाने की सिफारिश की है। दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर पीसी जोशी का कहना है कि वह दिल्ली डिजास्टर मैनेजमेंट कमेटी यानी डीडीएमए की सलाह का स्वागत करते हैं। इससे हमें चरणबद्ध तरीके से विश्वविद्यालय को फिर से खोलने में मदद मिलेगी।
दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति पीसी जोशी ने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय में न केवल दिल्ली बल्कि देश भर से और विदेशों से भी छात्र आते हैं। हमें इस पर विचार करना होगा कि उन्हें कैसे शामिल किया जाएगा।