दिल्ली : अनाधिकृत कॉलोनियों की रजिस्ट्री के लिए आए 2 लाख आवेदन


दिल्ली की अनाधिकृत कॉलोनियों में रह रहे दो लाख से अधिक लोगों ने अपने घरों की रजिस्ट्री कराने के लिए आवेदन किया है।

दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) व शहरी विकास मंत्रालय द्वारा शुरू की गई वेबसाइट पर ये आवेदन ऑनलाइन भेजे गए हैं। दिल्ली विधानसभा चुनाव से ठीक पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली की अनाधिकृत कॉलोनियों में रह रहे लोगों को उनकी संपत्ति का मालिकाना हक देने का वादा किया था।

शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा, “अभी तक 215942 लोगों ने ऑनलाइन पंजीकरण कराया है। इनमें से 4465 लोगों ने ड्राफ्ट एप्लीकेशन जमा करवाई है। कुल 8364 जियो सर्वे जानकारियां अपलोड की जा चुकी हैं। सभी आवश्यक दस्तावेजों के साथ 995 लोगों के आवेदन डीडीए को मिले हैं।”

शहरी विकास मंत्री ने कहा, “84 लोगों की कन्वेंस डीड तैयार हो चुकी है और 67 व्यक्तियों को अनाधिकृत कॉलोनियों में स्थित उनकी संपत्ति के संबंध में अधिकार पत्र जारी किए जा चुके हैं।”

अनाधिकृत कॉलोनियों में मालिकाना हक देने की इस प्रक्रिया में फिलहाल 69 अनाधिकृत पॉश कॉलोनियों को शामिल नहीं किया गया है। रजिस्ट्री संबंधी जानकारी के लिए डीडीए ने पहले 10 हेल्प सेंटर खोले थे, जिनकी संख्या बढ़ाकर अब 50 कर दी गई है।

पुरी के मुताबिक, 1546 कॉलोनियों की सीमा व नक्शे डीडीए की वेबसाइट पर अपलोड किए जा चुके हैं। इन सभी कॉलोनियों में रहने वाले दिल्लीवासी अपनी संपत्ति का रजिस्ट्रेशन करा सकेंगे।

रजिस्ट्री हासिल करने के लिए अनाधिकृत कॉलोनियों के निवासियों को जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी, एग्रीमेंट टू सेल, भुगतान और कब्जा (पजेशन) लेने से जुड़े दस्तावेज डीडीए की वेबसाइट पर अपलोड करने हैं।

इसके बाद डीडीए की एक टीम मौके का मुआयना कर आपत्तियों का निपटारा करेगी। संपत्ति सही पाए जाने पर डीडीए लोगों को कन्विंस डीड देगी। इसके बाद संपत्ति मालिक राजस्व विभाग में रजिस्ट्री के लिए आवेदन कर सकते हैं।

हरदीप पुरी ने कहा “अनाधिकृत कॉलोनियों के नक्शे बनाने का काम सर्वे ऑफ इंडिया, डीडीए और राजस्व विभाग के अधिकारी संयुक्त रूप से कर रहे हैं। इसके लिए सर्वे ऑफ इंडिया से 2015 तक के सेटेलाइट मैप लिए गए हैं।”

गौरतलब है कि दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में 40 लाख से अधिक लोग अनाधिकृत कॉलोनियों में रहते हैं। यहां इन लोगों के मकान खेती की जमीन पर काटी गई अनाधिकृत रिहायशी कॉलोनियों में हैं। केंद्र सरकार का कहना है कि संपत्ति का रजिस्ट्रेशन होने से यहां रहने वाले 40 लाख लोगों को अपनी संपत्ति पर मालिकाना हक मिलेगा। सरकार के इस कदम से इन कॉलोनियों में नागरिक सुविधाएं भी मुहैया होंगी। इन आवासीय बस्तियों में रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया होने के बाद मकान खरीद बिक्री के लिए ऋण भी उपलब्ध हो सकेगा।

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