दिल्ली- बाटला हाउस की झुग्गियों को डीडीए ने उजाड़ा, केजरीवाल की चुप्पी पर सवाल

दिल्ली में रेलवे के किनारे बसी 48 हज़ार झुग्गियों को हटाए जाने का मुद्दा गरमाने के बाद भी केंद्र की मोदी सरकार का बुलडोज़र दिल्ली की झुग्गियों पर चलना बदस्तूर जारी है।

प्रीत विहार, बदरपुर बार्डर, गाज़ीपुर मुर्गा मंडी के बाद अब केंद्र के निर्देश पर काम कर रहा दिल्ली दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) चोर दरवाज़े से झुग्गियों पर औचक हमला बोलकर उसे ध्वस्त करने में मशगूल है।

डीडीए का नया शिकार है बाटला हाउस के पास स्थित झुग्गियां, जिन्हें 24 सितंबर को भारी पुलिस फ़ोर्स तैनात कर ध्वस्त कर दिया गया।
बाटला हाउस में 200 से अधिक झुग्गियों को डीडीए ने जमींदोज़ कर दिया और 900 से अधिक लोग, जिनमें बच्चों से लेकर बूढ़े बुज़ुर्ग तक थे, बेघर हो गए।

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यह घटना ऐसे समय में हुई है जब दिल्ली में कोरोना वायरस संक्रमण का दोबारा प्रकोप बढ़ गया है और राष्ट्रीय राजधानी में रोजाना हजारों मामले दर्ज किए जा रहे हैं।

ये खुद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने स्वीकार किया है और अतिरिक्त एहतियात बरतने को कहा है।

लेकिन जब जामिया विश्ववविद्यालय के पास स्थित अल्पसंख्यक बहुल बाटला इलाक़े में बुलडोज़र चला तो अधिकारियों और पुलिस ने इसकी पूर्व सूचना भी नहीं दी।

छात्र संगठन आइसा के छात्रों ने बताया कि झुग्गी तोड़े जाने के दूसरे दिन सुबह 10 बजे तक लोग अपने टूटे हुए घरों के पास भूखे बैठे हुए थे।
पुलिस प्रशासन ने झुग्गी तोड़ने के दौरान विरोध करने वाले हर शख़्स को हिरासत में ले लिया। महिलाओं और बच्चों सहित कई और लोगों पर लाठीचार्ज किया गया।

स्थानीय लोगों के अनुसार, प्रशासन पड़ोस की झुग्गियों को तोड़ने के लिए एक दो दिन में फिर बुलडोजर लेकर पहुंचेगा, ऐसी आशंका पूरी है।
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छात्रों को स्थानीय लोगों ने बताया कि आम आदमी पार्टी के उस इलाक़े के विधायक अमानतुल्ला खान से इस संबंध में हस्तक्षेप किए जाने की मांग को लेकर मिलने की कोशिश की गई लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।

लोगों का कहना है कि अभी तक दिल्ली सरकार का कोई प्रतिनिधि इस मुद्दे पर बातचीत करने के लिए नहीं आया है और ऐसे में उजाड़े गए लोग केजरीवाल सरकार की ओर से ठगा महसूस कर रहे हैं।

केजरीवाल ने पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान “झुग्गियों की जगह पक्के मकान” देने का वादा किया था। हालांकि ऐसा ही वादा उसी चुनाव में बीजेपी ने किया था और उसका नारा था- ‘जहां झुग्गी वहां मकान’।

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