दिल्ली में कांगो की दो दिवसीय कला प्रदर्शनी 31 अगस्त से

अफ्रीका महाद्वीप का तीसरा सबसे बड़ा देश जिसे लोग अबतक युद्द, नरसंहार औऱ तबाही वाले देश के रूप में जानते थे। जिसका नाम सुनते ही किसी के भी दिमाग में गरीबी और बदहाली की छवि बनती थी। उसका नाम है डीआर कांगो ।  पड़ोसी देश कांगो गणराज्य से भिन्नता के लिए इस देश को अक्सर डीआर कांगो, डीआरसी या फिर राजधानी किन्शासा के नाम पर कांगो-किन्शासा के नाम से पुकारा जाता है।

कांगो लोकतान्त्रिक गणराज्य क्षेत्रफल के अनुसार विश्व का ११वाँ सबसे बड़ा देश है जहां फ़्रान्सीसी भाषा बोलने वाली सबसे बड़ी आबादी है। यहां कई जातीय समूहों और क्षेत्रों ने चित्रकला, मूर्तिकला, संगीत और नृत्य सहित पारंपरिक कलाओं का एक मोज़ेक विकसित किया है, जिसकी वजह से चारों ओर सुंदर रंग और हास्य और कामुकता से भरे हुए दृश्य दिखाई पड़ते हैं।

इसकी सीमाएं उत्तर में मध्य अफ़्रीकी गणराज्य और सूडान, पूर्व में यूगांडा, रवांडा और अंगोला, पश्चिम में कांगो गणराज्य लगी हुई हैं। पूर्व में तंगानयिका झील इस देश को तंजानिया से अलग करती है।

यह एक ऐसा देश है जहाँ कुदरत की कला अपने पूरे शबाब पर दिखती है। यहां का मौसम, जंगल, बर्फ से ढके पहाड़ और सक्रिय ज्वालामुखियों से इसकी अहमियत और भी बढ़ जाती है।

न्यूयॉर्क ऑफ सेंट्रल अफ्रीका ने नाम से विख्यात डी आऱ सी कांगो में पर्यटन के लिए वो सभी चीजें मौजूद हैं जो एक संभावित स्वर्ग से कम नहीं है। यहां की बेजोड़ वन्यजीव औऱ UNESCO वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स, इसे दुनिया के सबसे खूबसूरत वादियों की श्रेणी में लाकर खड़ा कर देता हैं।

विरुंगा नेशनल पार्क – यानि दुनिया में सबसे अधिक जैविक रूप से विविध संरक्षित क्षेत्रों में से एक भी इसी देश में हैं। ये पार्क कला के लिए मशहूर किंशासा में करीब 3,000 वर्ग मील में फैला हुआ है।

ऐसी कला और खुबसूरती से दुनिया को रूबरू कराने के लिए दिल्ली स्थित डेमोक्रेटिक रिपब्लिक कांगो दूतावास दो दिवसीय कला प्रदर्शनी का आयोजन करने जा रही है। कांगो की कला प्रदर्शनी 31 अगस्त और 01 सितंबर 2019 को एलाएंस  फ्रॉंसेस ऑर्ट गैलरी में आयोजित होगी।

जहां कला के साथ-साथ आलंकारिक पेंटिंग भी प्रदर्शित की जाएगी, जो दिन-प्रतिदिन साथी नागरिकों, सामाजिक और राजनीतिक घटनाओं में जीवंत और  रंगों से भरी होगी।

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