दिव्या दत्ता की वो फिल्में, जिन्होंने उनके करियर का ग्राफ बदल दिया

मुंबई, – मनोरंजन उद्योग में 26 साल पूरे कर चुकीं अभिनेत्री दिव्या दत्ता ने 25 सितंबर को घर पर प्रियजनों के साथ चुपचाप अपना जन्मदिन मनाया।

दिव्या ने बतौर बॉलीवुड अभिनेत्री अपना करियर 90 के दशक के बीच में शुरू किया था। इसके बाद उन्होंने कई फिल्मों में छोटी-छोटी भूमिकाएं करके अपनी जबरदस्त छाप छोड़ी।

इरादा में अपनी भूमिका के लिए उन्होंने 2018 में राष्ट्रीय पुरस्कार (सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री) जीता। आईएएनएस से बातचीत में उन्होंने उन फिल्मों के बारे में बताया, जिन्होंने उनके करियर को पूरी तरह से बदल दिया।

यश चोपड़ा की इस फिल्म को याद करते हुए दिव्या ने कहा, उस समय तक मैंने कुछ ही फिल्मों में काम किया था, लेकिन पहचान मुझे वीर जारा के कारण मिली। कई लोगों की तरह मैं भी यश चोपड़ा को देखकर बड़ी हुई हूं।

मैं सपनों में भी खुद को एक वाईआरएफ नायिका बनते देखती थी! बेशक वीर जारा में भी ऐसा नहीं हुआ, लेकिन इससे मुझे व्यावसायिक सिनेमा में जबरदस्त पहचान मिली।

दिव्या ने कहा, मैंने पहली बार राकेश ओम प्रकाश मेहरा के साथ काम किया। मेरा किरदार समाज के एक अभिन्न अंग को पेश करने वाला था। इस फिल्म में दिव्या ने जलेबी नाम की एक स्वीपर की भूमिका निभाई थी। जो एक निचली जाति की और अछूत है।

मिल्खा सिंह की बहन के किरदार को लेकर दिव्या ने कहा, यह बहुत ही शानदार तरीके से लिखा गया कैरेक्टर था। वैसे तो यह एक आदमी पर बनी बायोपिक थी लेकिन उसकी जिंदगी में उसकी बहन का अहम योगदान होता है और इस तरह कहीं न कहीं यह एक भाई-बहन की कहानी बन जाती है।

इस किरदार के लिए मुझे बहुत प्यार और प्रशंसा मिली।
अभिनेत्री ने इस फिल्म को लेकर कहा, मुझे लगता है कि मेरे करियर में यह फिल्म भी बहुत महत्वपूर्ण थी क्योंकि मैं फिर से वरुण धवन जैसे सुपरस्टार के साथ बेहद अलग किरदार में दर्शकों के बीच पहुंची। यह ऐसी फिल्मों में से एक है जो मेरे दिल के करीब हैं।

कुछ ही हफ्तों पहले डिजिटल प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध हुईं फिल्में स्पेशल 26 (2013) और रामसिंह चार्ली भी दिव्या के लिए बेहद खास हैं।

दिव्या कहती हैं, इन दोनों फिल्मों की शूटिंग के दौरान मुझे इन किरदारों को निभाने के लिए बहुत कुछ भूलना पड़ा। नीरज पांडे (स्पेशल 26 के निर्देशक) और नितिन कक्कड़ (रामसिंह चार्ली के निर्देशक) के काम करने की शैली बहुत अलग है और शूटिंग के पहले दिन मैं नर्वस थी। शायद इसी चीज ने मुझे अपना बेस्ट देने के लिए प्रेरित किया।

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