प्याज का उत्पादन 7 फीसदी बढ़ने का अनुमान


प्याज की महंगाई देख उत्साहित किसानों ने रबी सीजन में प्याज की खेती में काफी दिलचस्पी दिखाई है, जिसके चलते इस साल उत्पादन सात फीसदी से ज्यादा बढ़ने की उम्मीद की जा रही है। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा सोमवार को जारी फसल वर्ष 2019-20 के पहले अग्रिम उत्पादन अनुमान के अनुसार, देश में इस साल 244.5 लाख टन प्याज का उत्पादन हो सकता है, जोकि पिछले साल 2018-19 के 228.2 लाख टन के मुकाबले 7.17 फीसदी अधिक है।

मानसून के आखिरी दौर की बारिश के कारण देश के प्रमुख प्याज उत्पादक राज्यों में खरीफ फसल खराब हो जाने के कारण सितंबर से प्याज के दाम में वृद्धि का सिलसिला आरंभ हुआ और दाम को काबू करने की दिशा में सरकार द्वारा किए गए तमाम उपायों के बावजूद देश के विभिन्न हिस्सों में दिसंबर में प्याज 150 रुपये प्रति किलो तक बिकने लगा।

कृषि विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि प्याज की इस महंगाई ने किसानों का उत्साह बढ़ा दिया और अच्छे दाम मिलने की चाहत में किसानों ने खराब हुई फसल को निकालकर उसमें दोबारा प्याज लगा दिया। उन्होंने कहा कि रबी सीजन में प्याज की बंपर पैदावार की उम्मीद की जा रही है और किसानों को अच्छे भाव दिलाने के लिए सरकार प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध भी हटाने का विचार कर रही है।

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने प्याज के दाम को काबू में रखने के लिए सितंबर महीने में देश से प्याज निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया। साथ ही, सरकार ने प्याज की उपलब्धता बढ़ाने के मकसद से एक लाख टन प्याज आयात करने का फैसला लिया और एमएमटीसी ने 40,000 टन आयात के सौदे भी किए, जिसमें से करीब 25,000 टन प्याज आ चुका है, जिसे बेचने के लिए केंद्र सरकार को मशक्कत करनी पड़ रही है, और कई राज्य सरकारों ने आयातित प्याज खरीदने से हाथ खड़े कर दिए हैं।

उधर, घरेलू आवक बढ़ने से प्याज की कीमतों में विगत एक महीने में काफी गिरावट आई है।

हालांकि दिल्ली-एनसीआर के बाजार में खुदरा प्याज अभी भी 30-60 रुपये प्रति किलो बिक रहा है।

केंद्रीय उपभोक्ता मामले मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध खुदरा कीमत सूची के अनुसार, एक जनवरी को दिल्ली में प्याज 98 रुपये किलो था, जो 27 जनवरी को घटकर 61 रुपये किलो हो गया। इस प्रकार इस महीने प्याज के दाम में दिल्ली में 37 फीसदी की गिरावट आई है।

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