बिहार- नालंदा, राजगीर, बोधगया समेत पश्चिम चंपारण जिला में स्थित बापू की ऐतिहासिक धरोहर और बाल्मिकीनगर टाइगर रिज़र्व, के अलावा घने जंगलों के बीच जंतुओं और अद्भुत प्रकृति के नज़ारे देखने के लिए जंगल सफ़ारी जैसे पर्यटन की असीमित संभावनाओं को राष्ट्रीय पर्यटन स्थल के रूप में स्थापित करने के बाद अब राज्य सरकार की पर्यटन मंत्रालय की नज़र कैमूर की खूबसूरत पहाड़ियों पर है। ऐसी ही कैमूर की वादियों में मौजूद प्राकृतिक संसाधनों, अविश्वमरणीय दृश्य और रोमांच से भरपूर पर्यटन की संभावनाओं बेहद ख़ूबसूरती से पेश किया गया है।
वैसे भी कैमूर” अपनी पौराणिक गाथा, सांस्कृतिक विरासत और मां मुंडेश्वरी के लिए तो विश्व प्रसिद्ध है, लेकिन कैमूर की पहाड़ियों में जिन प्राकृतिक संसाधनों को प्रकृति ने स्थापित किया है, उसे देख कर हम यह कह सकते हैं कि प्रकृति ने ऐसे भाग को यहां संजोया है, जिसमें सुरम्य, सौम्य और अविरल, कल-कल, छल- छल बहते झरनों की झंकार, मनमोहक बांसुरी की मधुर तान से कम नहीं है।
तुतला भवानी, तेलहर कुंड, दुर्गावती वाटर फॉल, मजहर कुंड, नेटुआ कुंड, बंसी खोह वाटर फॉल, महादेव खोह वाटर फॉल, बुढवा वाटर फॉल, धुवां कुंड, कशिश वाटर फॉल, करकट गढ़ वाटर फॉल और पंचगुप्ता वाटर फॉल की धारा, धरा की सुंदरता को प्रतिपल अविश्वमरणीय बनाती है। साथ ही रोहतासगढ़ का किला, शेरगढ़ का किला और चौरासन मंदिर अपनी अमिट पहचान को जाना जाता है। ऐसे में एक ओर जहाँ वन और उसका स्वरूप कम हो रहा है, वहीं कैमूर और रोहतास अपनी गोद में आज भी इन्हें संजोए हैं। अगर आप प्रकृति के असली नजारे को देखना चाहते हैं तो “कैमूर नहीं है बहुत दूर, एकबार जाइए जरुर”… कैमूर वाइल्ड लाइफ सेन्चुरी आपके स्वागत को तैयार है।