बिहार बन सकता है दूसरा बुंदेलखंड, 25 जिलों के 280 प्रखंड सूखे की चपेट में

बिहार में मई तक सामान्य तौर पर 51.0 मिलीमीटर बारिश होनी चाहिए थी परंतु अब तक मात्र 32. 9 मिलीमीटर ही बारिश हुई है। ऐसे में राज्य में सूखे का संकट मंडराने लगा हैं। बारिश के अलावा राज्य के कई हिस्सों में ग्राउंड वाटर लेवल में कमी होने से खेती और पेयजल के लिए गंभीर संकट व फिर सूखे जैसे हालात पैदा होने की आशंका जताई जा रही है।

आईए एक बार देखते हैं, कि कैसे सलाना बारिश की मात्रा में कमी आई है…

  • 2014   849.3 मिमी 17%
  • 2015   744.7  मिमी 27%
  • 2016   971.6  मिमी 05%
  • 2017   936.8  मिमी 9%
  • 2018   771.3  मिमी 25%

(प्रत्येक साल एक जून से 30 सितंबर तक औसत बारिश)

मालूम हो कि पिछले साल भी कम बारिश होने से राज्य के आधे से ज्यादा हिस्से सूखाग्रस्त घोषित किये गये थे। यहां 534 में से 280 प्रखंडों में सूखे के हालात थे। पिछले वर्ष सूखे के कारण चावल के उत्पादन में कमी की संभावना दिखाई दे रही है।

कृषि विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि मई तक बिहार में सामान्य तौर पर 51.0 मिलीमीटर बारिश होनी चाहिए थी परंतु अब तक मात्र 32.9 मिलीमीटर बारिश हुई है।विभाग के मुताबिक कम बारिश की वजह से इस बार चावल के उत्पादन पर भी असर पड़ सकता है। 2017-18 में बिहार में चावल का उत्पादन करीब 80.93 लाख टन हुआ था जबकि 2018-19 में करीब 62.42 लाख टन उत्पादन होने की संभावना है। हालांकि अब तक अंतिम रिपोर्ट नहीं आई है।

हाल ही में जारी एक रिपोर्ट में बताया गया था कि राज्य के 102 प्रखंडों में ग्राउंड वाटर लेवल बहुत नीचे जा चुका है। इससे कई प्रखंडों में तो नलकूपों से पानी भी नहीं निकल रहा। मौसम का पूर्वानुमान लगाने वाली एक निजी एजेंसी स्काइमेट ने भी इस साल मॉनसून में सामान्य से कम बारिश की आशंका जतायी है। एक रिपोर्ट में जिक्र किया गया है कि जून में भारत में प्रवेश करने वाले दक्षिणी-पश्चिमी मॉनसून के बनने तक इस अलनीनो के कमजोर होने की संभावना है। इससे निपटने के लिए बिहार सरकार ने तैयारियां शुरू कर ही है। जलस्रोतों का जहां जीर्णोद्धार कराने के निर्णय किए गए हैं वहीं चापाकलों की मरम्मत के भी कार्य प्रारंभ कर दिए गए हैं।

आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत ने कहा कि राज्य के 25 जिलों के 280 प्रखंड पहले से ही सूखाग्रस्त चिह्नित हैं। इन सभी प्रखंडों में पानी का उचित प्रबंधन करने और इसकी कमी दूर करने के लिए हर संभव प्रयास करने का निर्देश सभी अधिकारियों को दिया गया है। कई जिलों में टैंकरों से भी पानी पहुंचाने की व्यवस्था की गई है।

आपदा प्रबंधन विभाग का मानना है कि बिहार में सूखा और बाढ़ करीब-करीब प्रत्येक साल की समस्या है। ऐसे में आपदा प्रबंधन विभाग इन समस्याओं से निपटने के लिए तैयार रहता है। आपदा प्रबंधन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि राज्य में खराब पड़े 30 से 35 हजार चापाकलों की मरम्मत जल्द से जल्द करा कर इन्हें चालू करने के साथ-साथ सभी जलाशयों का उचित प्रबंधन करने का निर्देश दिया गया है।

राज्य के लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग (पीएचईडी) के मंत्री विनोद नारायण झा ने भी माना कि पिछले साल कई जिलों के सूखाग्रस्त होने और इस साल अब तक अपेक्षाकृत बारिश नहीं होने के कारण पेयजल की समस्या बनी है। उन्होंने हालांकि कहा कि इसकी तैयारी पहले भी थी और आज भी है। इस वर्ष नल-जल योजना के तहत भी घरों तक पेयजल पहुंचाने का कार्य किया जा रहा है।

राज्य के तालाबों और अन्य जलस्रोतों का जीर्णोद्धार कराया जाएगा। सरकार ने मनरेगा योजना से राज्य के सभी पंचायतों में सार्वजनिक भूमि पर स्थित तालाब, आहर, पाइन और चेक डैम का जीर्णोद्धार कराने का निर्णय किया है। इसके साथ ही जल संरक्षण के लिए ग्रामीण सड़कों के किनारे वृक्षारोपण भी कराया जाएगा। जीर्णोद्धार की जिम्मेवारी ग्रामीण विकास विभाग को सौंपी गई है।

विभाग ने सभी जिलाधिकारियों को ऐसे जलस्रोतों को चिन्हित करने का निर्देश दिया है। ग्रामीण कार्य विभाग को कुल 1943 ग्रामीण सड़कों पर 5,754 किलोमीटर लंबाई में पौधारोपण करना है। इस योजना को 15 अगस्त तक पूरा करने का आदेश दिया गया है।

बहरहाल, बिहार में सूखे से निपटने के लिए सरकार पूरी तैयारी से जुटी है, लेकिन देखना होगा कि सरकार के इन प्रयासों का फल किसानों को कितना मिल पाता है।

 * डा. शाहिद सिद्दीकी

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