बिहार में 13 सीटों पर तीसरे स्थान पर रहा नोटा

पटना। लोकसभा चुनाव में बिहार की 40 लोकसभा सीटों में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने 39 सीटें जीतकर भले ही अभूतपूर्व सफलता पाई हो, लेकिन इसमें 13 लोकसभा क्षेत्र ऐसे हैं, जहां मतदाताओं ने तीसरे विकल्प के तौर पर ‘नोटा’ का बटन दबाना पसंद किया।

राज्य निर्वाचन विभाग के अनुसार, राज्य में गोपालंगज लोकसभा क्षेत्र के 51,660 मतदाताओं ने नोटा का विकल्प का चुनाव किया। गोपालंगज सीट से जेडीयू के डॉ़ ओलोक सुमन ने राजद के प्रत्याशी को 2,86,434 मतों से पराजित किया है।

बिहार के पश्चिम चंपारण सीट नोटा के मामले पर दूसरे स्थान पर रहा, जहां मतदाताओं का रुझान नोटा की ओर देखा गया. इस सीट पर 45,699 मतदाताओं ने नोटा का विकल्प के तौर पर अपना मत दिया। यहां भाजपा के संजय जायसवाल ने रालोसपा के ब्रजेश कुशवाहा को 2.93 लाख मतों से पराजित किया है।

इसी तरह नोटा के मामले में तीसरे नंबर पर समस्तीपुर लोकसभा क्षेत्र रहा जहां 35,417 मतदाताओं को किसी दल के प्रत्याशी पसंद नहीं आए और विकल्प के रूप में उन्होंने नोटा का विकल्प चुना। यहां से लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के अध्यक्ष रामविलास पासवान के भाई लोजपा प्रत्यायशी रामचंद्र पासवान ने कांग्रेस के अशोक कुमार को 2.51 लाख वोटों से हराया है।

ऐसा नहीं कि केवल इन्हीं क्षेत्रों के मतादाताओं का रुझान नोटा की ओर रहा. इन तीन सीटों के अलावे राज्य की ऐसी 10 अन्य सीटें हैं, जहां तीसरे नंबर पर नोटा रहा. पूर्वी चंपारण लोकसभा क्षेत्रों में 22,706 मतदाताओं ने नोटा को वोट दिया, जबकि अररिया में 20,618 तथा कटिहार लोकसभा क्षेत्र में 20 हजार से अधिक मतदाताओं ने नोटा को पसंदीदा विकल्प के रूप में चुना।

इसके अलावा दरभंगा में भी 20,468 मतदाताओं ने तथा सारण में 28,267 मतदाताओं ने नोटा को पसंद किया।

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