भारत अगले 3 साल में बनेगा स्टील का निवल निर्यातक : प्रधान


केंद्रीय पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस एवं इस्पात मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने भारत के स्टील उद्योग को आकर्षक और प्रतिस्पर्धी बनाने की दिशा में अपने प्रयासों का जिक्र करते हुए सोमवार को कहा कि उन्हें अगले दो से तीन साल में देश को स्टील का निवल निर्यातक बनाना है।

उन्होंने, इस समय भारत स्टील का निवल आयातक है, लेकिन अगले दो से तीन साल में निवल निर्यातक बन जाएगा।

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, भारत ने 2018-19 में 78.3 करोड़ टन स्टील का आयात किया था जबकि देश का निर्यात 63.6 करोड़ टन था।

प्रधान देश के स्टील उद्योग को आकर्षक और दुनिया के बाजार में प्रतिस्पर्धी बनाने के मकसद से यहां आयोजित एक चिंतन शिविर में बोल रहे थे।

उन्होंने कहा, जापान हमसें कच्चा माल खरीदता है और गुणवत्तापूर्ण सामान बनाकर दुनिया के बाजार में बेचता है। अगर, जापान ऐसा कर सकता है तो हम क्यों नहीं कर सकते हैं।

उन्होंने कहा कि भारत के पास क्षमता की कमी नहीं है। आज देश में 14 करोड़ टन स्टील उत्पादन करने की क्षमता है। इस्पात मंत्री ने देश में स्टील उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ खपत में भी इजाफा करने के प्रयासों पर बल दिया।

प्रधान ने निर्यात बढ़ाने के प्रयासों का जिक्र करते हुए कहा, पिछले दिनों में खाड़ी देशों के दौरे पर गया था, जहां हमने उनसे कहा कि हम आपसे तेल व गैस खरीदते हैं और आप भी हमसे स्टील खरीद सकते हैं।

उन्होंने कहा स्टील उत्पाद को लागत प्रभावी बनाने पर बल देते हुए कहा, अगर हम सस्ता स्टील बनाएंगे तो दुनिया के बाजार में बेच पाएंगे।

प्रधान ने स्टील उद्योग के लिए कोयले की कमी को पूरा करने की दिशा में किए जा रहे प्रयासों का जिक्र करते हुए कहा कि भारत मंगोलिया से कोयला आयात करने की दिशा में कोशिश कर रहा है, जिसका सबसे ज्यादा फायदा देश के स्टील (इस्पात) उद्योग को होगा।

उन्होंने कहा कि मंगोलिया के पास कोयला का अपार भंडार है और वह अपना कोयला भारत को बेचना चाहता है। उन्होंने कहा, हमारी एक टेक्नोलॉजिकल टीम रूस के पांच इलाकों में यह देखने के लिए जा रही है कि वहां लॉजिस्टिक की सुविधा क्या है, पोर्ट की सुविधा क्या है और कोयला की क्वालिटी क्या है।

उन्होंने बताया कि ट्रांस साइबेरियन लिंक में भारत सरकार मंगोलिया के लिए रेलवे लाइन बिछाने जा रही है जिसका सबसे ज्यादा फायदा भारत के स्टील उद्योग को मिलेगा।

उन्होंने बताया कि मंगोलिया का सारा कोयला पहले चीन ले रहा है, लेकिन अब वह चीन को कोयला नहीं देना चाहता है, बल्कि दूसरे देशों खासतौर से भारत भेजना चाहता है।

चीन दुनिया में स्टील का सबसे बड़ा उत्पादक है, जिसका क्रूड स्टील का उत्पादन 2018 में 92.83 करोड़ टन था, जबकि भारत इस सूची में 10.65 करोड़ टन उत्पादन के साथ दुनिया में दूसरे स्थान पर है।

भारत ने वर्ष 2030-31 में देश में स्टील का उत्पादन बढ़ाकर 30 करोड़ टन करने के लक्ष्य निर्धारित किया है।

स्टील की खपत के मामले में चीन और अमेरिका के बाद भारत तीसरे स्थान पर है, लेकिन मौजूदा दौर में भारत में प्रति व्यक्ति स्टील की खपत 74 किलोग्राम है, जबकि वैश्विक औसत 225 किलोग्राम प्रति व्यक्ति है।

इस्पात मंत्रालय द्वारा आयोजित इस चिंतन शिविर में देशभर से स्टील सेक्टर से जुड़े उद्योगपतियों, कारोबारियों व हितधारकों ने हिस्सा लिया।

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