महाराष्ट्र, हरियाणा में फीका रहा कांग्रेस का चुनाव प्रचार


महाराष्ट्र और हरियाणा में 21 अक्टूबर को होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले प्रचार-प्रसार को लेकर कांग्रेस बहुत गंभीर नहीं दिखी है।

पार्टी ने स्टार प्रचारकों की एक सूची तो बनाई थी, जिसमें प्रियंका गांधी वाड्रा का भी नाम था, लेकिन वह प्रचार के लिए कहीं नहीं गईं। प्रियंका को हरियाणा और महाराष्ट्र दोनों राज्यों में प्रचार करना था।

कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को एक रैली को संबोधित करना था, लेकिन अंतिम समय में तबीयत खराब हो जाने के कारण वह नहीं पहुंच पाईं और उनकी जगह राहुल गांधी ने रैली को संबोधित किया।

राहुल ने कुल सात रैलियों को संबोधित किया, जिसमें तीन हरियाणा और चार महाराष्ट्र की रैलियां शामिल हैं। प्रचार के मामले में कांग्रेस भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सामने कहीं नहीं ठहरती है।

भाजपा विधायकों की जीत सुनिश्चित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 रैलियों को संबोधित किया है। वहीं गृहमंत्री अमित शाह और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने भी कई रैलियों को संबोधित किया।

इस दौरान प्रधानमंत्री ने कांग्रेस और गांधी परिवार पर जमकर निशाना साधा। कांग्रेस ने आर्थिक मंदी के मुद्दे पर सरकार को घेरने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को 17 अक्टूबर को मैदान में उतारा था।

कांग्रेस के एक सूत्र का कहना है कि प्रियंका ने खुद को उत्तर प्रदेश तक सीमित कर लिया है। उन्होंने हालांकि आम चुनाव में प्रदेश से बाहर प्रचार किया था।

जबकि कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि पार्टी चाहती है कि चुनाव में स्थानीय मुद्दे हावी हों, इसलिए राष्ट्रीय नेताओं को तवज्जो नहीं दी गई।

वहीं दूसरी ओर भाजपा ने राष्ट्रीय मुद्दों पर ही अभियान चलाया।

कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी एक ध्यान (मेडिटेशन) सत्र के लिए कंबोडिया चले गए थे, लेकिन सोनिया गांधी ने राज्य विधानसभा में चुनाव प्रचार के लिए उन्हें वापस बुलाया।

राहुल ने केवल नाम मात्र का प्रचार किया। उन्होंने हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की दोनों रैलियों में मंच साझा नहीं किया।

वहीं मुंबई में कांग्रेस नेता संजय निरूपम और मिलिंद देवड़ा दोनों राहुल गांधी द्वारा संबोधित रैली में शामिल नहीं हुए।

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