मोदी के मेगा रिफाइनरी प्रोजेक्ट में साझेदार बनना चाहती है अरामको


सब कुछ अगर सुनियोजित रहा तो नरेंद्र मोदी सरकार के मेगा प्रोजेक्ट, वेस्ट कोस्ट रिफाइनरी में दुनिया की अग्रणी तेल कंपनी सऊदी अरामको जल्द ही अहम रणनीतिक साझेदार बन सकती है। यह प्रोजेक्ट चार लाख करोड़ रुपये की है। महाराष्ट्र के रायगढ़ में रिफाइनरी लगाई जाएगी जहां प्रदेश सरकार ने 600 एकड़ जमीन अधिग्रहण की दिशा में पहल शुरू कर दी है। इस प्रोजेक्ट के पांच साल के भीतर पूरे होने की उम्मीद है जिससे न सिर्फ देश की भावी तेल की जरूरतों की पूर्ति होगी बल्कि भारत रिफाइनरी के क्षेत्र में दुनिया में अग्रणी बन जाएगा।

पेट्रोलियम मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने आईएएनएस को बताया कि सऊदी अरामको के शीर्ष प्रबंधन ने वेस्ट कोस्ट रिफाइनरी के लिए भारत के साथ रणनीतिक साझेदारी करने की दिलचस्पी जाहिर की है। यह दुनिया की सबसे उन्नत रिफाइनरी होगी।

उन्होंने बताया, “इस संबंध में सऊदी के नए ऊर्जा मंत्री प्रिंस अब्दुल अजीज बिन सलमान के साथ केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेद्र प्रधान की आठ सितंबर को जेद्दा में हुई मुलाकात फलप्रद रही।”

अधिकारी ने कहा, “प्रधान के साथ संयुक्त सचिव बी. एन. रेड्डी और इंडिया ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसीएल), भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (बीपीसीएल) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (एचपीसीएल) के वरिष्ठ अधिकारी भी थे। सऊदी के मंत्री ने भारत में निवेश को लेकर अपने देश की प्रतिबद्धता दोहराई।”

सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संभवतया अगले महीने सऊदी अरब का दौरा करेंगे, जहां वह किंग सलमान बिन अजीज और क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के साथ बातचीत करेंगे।

इस दौरान वेस्ट कोस्ट रिफाइनरी प्रोजेक्ट में सऊदी अरब के रणनीतिक साझेदार बनने को लेकर निर्णायक व सकारात्मक वार्ता होने की उम्मीद है।

मोदी ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान 2016 में इस मेगा प्रोजेक्ट की घोषणा की थी। आरंभ में मेगा प्रोजेक्ट के लिए रत्नागिरी के बाहरी इलाके का चयन किया गया था, लेकिन किसानों ने प्रोजेक्ट को जिले से बाहर ले जाने को लेकर प्रदर्शन करना शुरू कर दिया था।

इसके बाद आखिरकार इस साल की शुरुआत में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने आश्वस्त किया कि प्रोजेक्ट को रायगढ़ ले जाया जाएगा जहां इसके लिए प्रदेश सरकार जमीन का अधिग्रहण करेगी।

मौजूदा दौर में भारत में 24 तेल शोधक कारखाने (रिफाइनरी) हैं। इनमें ज्यादातर रिफाइनरी सार्वजनिक क्षेत्र के तहत संचालित हैं।

भारत में तेल की बढ़ती जरूरतों के मद्देनजर पश्चिमी तट पर लगाई जाने वाली यह मेगा रिफाइनरी काफी महत्वपूर्ण साबित हो सकती है जिसकी अनुमानित क्षमता 60 एमएमटीपीए (मिलियन मीट्रिक टन सालाना) होगी और इससे आने वाले दिनों में देश में होने वाली तेल की जरूरतों की पूर्ति होगी।

भारत का लक्ष्य तेल के अपने आरक्षित भंडार को बढ़ाकर 100 दिनों तक की जरूरतों की पूर्ति के अनुरूप बनाना है।

सूत्रों ने बताया कि सऊदी अरामको भारत को आरिक्षत तेल प्रदान करना चाहती है।

अरामको दरअसल भारी निवेश के साथ भारत का रणनीतिक साझेदार बनना चाहती है और वह जल्द ही अति प्रतीक्षित आईपीओ लाने जा रही है।

इस साल जुलाई में नई दिल्ली के दौरे पर आए सऊदी अरब के तत्कालीन ऊर्जा मंत्री और अरामको के चेयरमैन खालिद अल फलीह की पेट्रोलियम मंत्री धर्मेद्र प्रधान के साथ महत्वपूर्ण बातचीत हुई थी।

दोनों मंत्रियों ने भारत और सऊदी अरब के बीच हाइड्रोकार्बन सहयोग बढ़ाने को लेकर विचार-विमर्श किया था। उन्होंने वेस्ट कोस्ट रिफाइनरी प्रोजेक्ट समेत तेल और गैस के क्षेत्र में सऊदी अरब के निवेश की दिशा में हुई प्रगति की भी समीक्षा की थी।

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