मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे हो गए हैं. इस अवसर पर केंद्र सरकार ने आने वाले वक्त में भारत को 5 ट्रिलियन की इकोनॉमी बनाने के लक्ष्य का रोडमैप जारी किया है.
इसके अनुसार निवेश बढ़ाने और रोज़गार के नए अवसर पैदा करने के लिए दो कैबिनेट समितियां बनाई गई हैं. ये पैनल हैं ‘निवेश एवं विकास पैनल’ और ‘रोज़गार एवं कौशल विकास पैनल.’ प्रधानमंत्री खुद इन दोनों पैनलों की अध्यक्षता करेंगे.
इसके साथ यह भी बताया गया कि सरकार ने कृषि के क्षेत्र में संरचनात्मक सुधार के लिए उच्चस्तरीय समिति का गठन किया है.
भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में देश के इंफ्रास्ट्रक्चर में आने वाले वक्त में 100 लाख करोड़ रुपये के निवेश का लक्ष्य रखा गया है.
इसमें से 50 लाख करोड़ रुपये अकेले रेलवे के इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च किए जाएंगे.
बीबीसी संवाददाता अभिजीत श्रीवास्तव ने वरिष्ठ आर्थिक पत्रकार सुषमा रामचंद्रन से बात कर यह पूछा कि सरकार के ये पैनल कितने अहम हैं और सरकार को इस दिशा में क्या क्या करने की ज़रूरत है?
पढ़ें सुषमा रामचंद्रन का नज़रिया
5 ट्रिलियन इकोनॉमी को लेकर केंद्र सरकार ने जो पैनल बनाए हैं वो बेहद ज़रूरी हैं.
देश में निवेश की गति बहुत धीमी हुई है. इसकी वजह से अर्थव्यवस्था की गति भी मंद हुई है. देश की अर्थव्यवस्था पिछली तिमाही में 5 फ़ीसदी की दर से बढ़ी है.
विदेशी निवेश पिछले पांच सालों के दौरान अच्छा हुआ है लेकिन बीते एक-दो सालों से थोड़ा धीमा पड़ा है. इस दिशा में सरकार को काम करना होगा ताकि बाज़ार में निवेशकों का भरोसा बढ़े.
टैक्स और निवेश नीति की स्पष्टता
सबसे पहले तो सरकार को निवेश के माहौल को अच्छा करना होगा.
इसके लिए कई चीज़ें ज़रूरी हैं. सबसे अहम है कि सरकार को अपनी आर्थिक नीति एक जैसी रखनी होगी, उसे लंबी अवधि की पॉलिसी पर ध्यान देना चाहिए.
दूसरी सबसे अहम बात है टैक्स की नीति. सरकार को करदाता और निवेशकों पर अपनी नीति स्पष्ट करनी होगी.
केंद्र सरकार ने बजट के दौरान फ़ॉरेन पोर्टफोलियो इनवेस्टमेंट (FPI) की आय पर आयकर सरचार्ज बढ़ाने का जो फ़ैसला लिया था उसे हाल ही के दिनों में वापस ले लिया है. घरेलू निवेशकों के लिए आयकर सरचार्ज को बढ़ाने का निर्णय भी रद्द कर दिया गया है.
निवेश के लिए आसान क्रेडिट देने की ज़रूरत है. सरकार ने बैंकिंग के क्षेत्र में थोड़ा सुधार किया है. एक साथ कई बैंकों के विलय की घोषणा की है और साथ ही 55,250 करोड़ के बेलआउट पैकेज की घोषणा भी की है.
उम्मीद की जा रही है कि इससे बैंकों के एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग एसेट) कुछ कम होंगे और वो कम से कम नुक़सान से उबर पाएंगे.
रोज़गार सृजन के उपाय कैसे करे?
सरकार ने रोज़गार के सृजन के लिए पैनल की घोषणा भी की है. रोज़गार की बात होगी तो 5 फ़ीसदी के दर से विकास दर की बात वापस आएगी और इस पर चर्चा होगी. क्योंकि जब ग्रोथ कम होगा तो नौकरियों के सृजन पर इसका सीधा असर पड़ेगा ही.
मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में बहुत कम ग्रोथ हुआ है. यहां सरकार को बहुत फोकस करना होगा. सरकार को खुद भी इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में पैसा लगाना होगा.
रोज़गार बढ़े इसके लिए कंस्ट्रक्शन, रियल स्टेट पर फ़ोकस करने की आवश्यकता
कंस्ट्रक्शन, रियल स्टेट और सड़कों पर फोकस
रियल इस्टेट और कंस्ट्रक्शन के क्षेत्र में नौकरियों ज़्यादा होती हैं और यहां लेबर की अधिक मांग होती है, लिहाजा यहां अधिक पैसा लगाना होगा.
इस क्षेत्र में दूसरी सबसे अहम चीज़ है सड़क. जब प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने स्वर्णिम चतुर्भुज (गोल्डेन क्वाड्रिलेटरल) की घोषणा की थी तब उससे देश की अर्थव्यवस्था में काफी सुधार हुआ था.
सरकार ने रेलवे में 50 लाख करोड़ लगाने का फ़ैसला किया है. रेलवे पर फोकस ज़रूरी है लेकिन पब्लिक सेक्टर की जगह सरकार को प्राइवेट सेक्टर में नौकरियों के सृजन पर ज़्यादा ध्यान देने की ज़रूरत है.
सड़क निर्माण से लोगों को नौकरियां मिलेंगी
नौकरियों के लिए फैक्ट्री लगाने जैसे विकल्प भी हैं और इसके लिए मैन्युफैक्टरिंग सेक्टर पर ध्यान दिया जा सकता है लेकिन दीर्घावधि की जगह अल्पावधि में रोज़गार सृजन करने वाले विकल्पों को चुनना होगा.
यदि जल्दी से जल्दी नतीजे चाहिए तो कंस्ट्रक्शन, रियल स्टेट और सड़कों पर सबसे ज़्यादा ध्यान देने की ज़रूरत हैं.
रेलवे भी अहम है. लेकिन पब्लिक सेक्टर पर अनावश्यक नौकरियां सृजन करने से बचना होगा.