सेंटर फ़ॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी के एक सर्वे के अनुसार तालाबंदी से अबतक 2 करोड़ लोगों की नौकरी चली गई है। जुलाई और अगस्त में 81 लाख लोगों की नौकरी गई है।
ये सभी 2 करोड़ सैलरी पेशा वाले लोग है,ये वही लोग है जिन्होंने ताली, थाली,मोबाइल का टॉर्च, मोमबत्ती,घर की लाइट और ना जाने क्या क्या किया था।
क्या आज इनका कोई सुध भी लेने वाला है की के लोग अपना लोन, उधार, स्कूल की फीस,घर के ज़रूरी खर्चे आदि की पूर्ति कैसे और कहा से कर रहे है?
क्या अपने बचत से कर रहे है? अगर हां तो वो कब तक चलेगा या फ़िर ऐतिहासिक 20 लाख करोड़ के पैकेज में कुछ अंश मिला है?
तमाम आंकड़े और एक्सपर्ट का आंकलन इस बात का इशारा कर रहा है कि आने वाला समय और भयानक होने जा रहा है तो फिर यही से एक राष्ट्रवादी युवा का सवाल है कि अगर आने वाला समय वास्तविक रूप से इतना भयावह होने वाला है तो हमारी राष्ट्रवादी सरकारो के पास इस प्रकार की आर्थिक स्तिथि से निपटने के लिए क्या कोई ठोस एवं प्रभावी योजना है भी या नही? या फिर हम युवाओ को लचेदार भाषड़ एवं छंद राष्ट्रवाद से ही काम चलाना पड़ेगा!
“थाम के सामाजिक न्याय की डोर युवा चलेगा संविधान की ओर”
Irfan Khan