राजीव हत्याकांड : सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई की 22 साल से चल रही जांच पर अंसतोष जताया


सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के पीछे की साजिश का खुलासा करने के लिए पिछले 22 वर्षों से चल रही सीबीआई जांच की प्रगति पर मंगलवार को असंतोष जाहिर किया। न्यायमूर्ति एल.नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि जांच एजेंसी द्वारा दाखिल की गई हालिया रिपोर्ट प्रत्यक्ष रूप से दो साल पहले दाखिल रिपोर्ट की मिरर इमेज (एक जैसी) है।

कोर्ट ने सीबीआई से कहा, “हम जानना चाहते है कि प्रगति क्या हुई है?”

शीर्ष कोर्ट की यह टिप्पणी दोषी ए.जी.पेरारिवलन द्वारा दायर अपील पर आई है। पेरारिवलन को आजीवन कैद की सजा सुनाई गई है। उसने अपने अपील में मामले में उसे दोषी करार देने के निर्णय को वापस लेने की मांग की है।

नवंबर 2019 में मामला शीर्ष अदालत के समक्ष सुनवाई के लिए आया, जिसने हत्या पर नवीनतम स्टेटस रिपोर्ट मांगी और सीबीआई की अगुवाई वाली मल्टी-डिसिप्लेनरी मॉनिटरिंग एजेंसी (एमडीएमए) को मामले की जांच के लिए चार हफ्ते का समय रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए दिया।

कोर्ट इससे पहले इस बात की जांच करने के लिए सहमत हो गई थी कि क्या उसे नए सबूतों के आधार पर रिहा किया जा सकता है या नहीं।

कोर्ट पेरारिवलन की एक याचिका पर सुनवाई कर रही है। पेरारिवलन ने अधूरी एमडीएमए जांच का हवाला देते हुए मामले में उम्र कैद पर स्थगन की मांग की है। पेरारिवलन व तीन अन्य को शुरू में मौत की सजा सुनाई गई थी, जिसे बाद में उम्र कैद में बदल दिया गया।

राजीव गांधी की 21 मई, 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में एक चुनावी रैली के दौरान महिला आत्मघाती हमलावर ने हत्या कर दी थी।

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