राज्यसभा में तृणमूल ने सोशल डिस्टेंसिंग पर आपत्ति जताई, मराठा मुद्दा गूंजा

नई दिल्ली, – मराठा मुद्दे से लेकर सोशल डिस्टेंसिंग शब्द का इस्तेमाल करने को लेकर और मानसिक स्वास्थ्य जैसे मुद्दे मंगलवार को संसद के मानसून सत्र के दूसरे दिन राज्यसभा में उठाए गए।

कांग्रेस सांसद राजीव सातव ने शून्यकाल में मराठा समुदाय के आरक्षण पर केंद्र सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए कोटा मुद्दा उठाया। संभाजी छत्रपति ने भी इसी विषय पर बात की।

तृणमूल कांग्रेस के सांतनु सेन ने सरकार द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे सोशल डिस्टेंसिंग शब्द पर आपत्ति जताते हुए दावा किया कि इससे कोविड रोगियों और उनके परिवारों को अमानवीय स्थिति का सामना करना पड़ा है।

उपराष्ट्रपति और पदेन सभापति एम. वेंकैया नायडू ने सेन से सहमति जताई और कहा कि इस शब्द की जगह किसी और उपयुक्त शब्द का इस्तेमाल होना चाहिए।

द्रमुक सांसद तिरुचि शिवा ने कोरोना काल में शिक्षा में डिजिटल डिवाइड के मुद्दे को उठाया, वहीं उनके पास बैठे तृणमूल सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने सहमति जताई। शिवा ने दावा किया कि इसने एक वर्ग को दूसरे के मुकाबले ज्यादा फायदा पहुंचाया है।

समाजवादी पार्टी के सांसद राम गोपाल यादव ने नोएडा का उदाहरण देते हुए दावा किया कि वहां कोरोना से मरने वालों की संख्या के मुकाबले आत्महत्या करने वालों की संख्या ज्यादा है।

उन्होंने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से अनुरोध किया कि म हामारी के कारण नौकरी गंवाने वालों को 15,000 रुपये प्रति माह की सहायता देने पर विचार करने का आग्रह किया।

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