नई दिल्ली – उत्तराखंड के रुड़की में पिता राजिंदर पंत अपने बेटे ऋषभ पंत के सीने पर तकिया बांध कर उसे कॉर्क की गेंद से अभ्यास कराते थे ताकि पंत के मन से तेज गेंदबाजों का डर खत्म हो जाए।
इसके अलावा राजिंदर अपने बेटे की ताकत को बढ़ाने के लिए उन्हें माल्टोवा का दूध भी देते थे। उनकी यह ताकत ब्रिस्बेन में उनकी नाबाद 89 रनों की पारी में भी देखी गई और इससे पहले भी कई बार उनके खेल में दिखाई दी।
जिस किसी ने भी पंत की ब्रिस्बेन में खेली गई 138 गेंदों की मैच जिताऊ पारी देखी होगी उसे पता होगा कि उत्तराखंड के छोटे से गांव में मिली सीख उनकी इस पारी के पीछे की मुख्य वजह है।
दुर्भाग्य की बात है कि ऋषभ के पिता ब्रिस्बेन की पारी देखने के लिए इस दुनिया में मौजूद नहीं थे। लेकिन ऋषभ ने निश्चित तौर पर इस पारी को खेलने के बाद सोचा होगा कि यह नतीजा उन दिनों छत पर अभ्यास करने, अभ्यास के लिए समय बचाने के लिए दो टिफिन बॉक्स लेकर जाने, और उस दौरान की गई बुनियादी मेहनत का नतीजा है।
राजिंदर ने 2019 में कहा था, मैं रुड़की में अपने घर पर सीमेंट से बनी छत पर उसे कॉर्क गेंद से अभ्यास कराता था, जहां गेंद तेजी से आती थी। उस समय शहर में कोई टर्फ पिच नहीं थी। मैं उनके सीने पर तकियां बांधता था ताकि तेज गेंद खेलते हुए उन्हें चोट न लगे। लेकिन उन्हें चोट लगी, फ्रैक्च र हुआ। यह इसलिए भी करता था ताकि उनके दिल से डर निकल जाए। यह एक्सट्रा कोचिंग थी।