विहिप ने अयोध्या फैसले पर त्वरित कार्रवाई का सरकार से आग्रह किया


अयोध्या रामजन्म भूमि विवाद मामले में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद विश्व हिंदू परिषद् (विहिप) के केन्द्रीय पदाधिकारियों की एक विशेष बैठक रविवार को यहां संगठन मुख्यालय संकट मोचन आश्रम में आयोजित की गई, जिसमें सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय पर संतोष व्यक्त किया गया और फैसले के क्रियान्वयन के लिए त्वरित कार्रवाई करने का सरकार से मांग की गई।

विहिप की तरफ से जारी एक बयान के अनुसार, कार्याध्यक्ष आलोक कुमार की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में उन सभी संतों, महापुरुषों, इतिहासकारों, न्यायविदों, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के विशेषज्ञों के प्रति आभार प्रकट किया गया, जिनके परिश्रम ने न्यायालय को इस निर्णय तक पहुंचने में सहयोग किया।
बयान के अनुसार, बैठक में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का विश्लेषण किया गया, और केंद्र और राज्य की सरकारों से आग्रह किया गया कि वे न्यायालय द्वारा निर्धारित अपनी भूमिकाओं पर त्वरित कार्रवाई करें।

बयान के अनुसार, बैठक में एक प्रस्ताव पारित कर राम मंदिर आंदोलन में खासतौर से संतों के योगदान को सराहा गया। प्रस्ताव में कहा गया, “1528 से चल रहे संघर्षो के सभी चरणों में संत-महात्माओं की विशिष्ट भूमिका रही है। संघर्षो के वर्तमान चरण का तो प्रारंभ ही संतों ने किया। 1984 में आयोजित धर्म संसद में रामजन्मभूमि मुक्ति का संकल्प लेकर उन्होंने ही इस अभियान के लिए शंखनाद किया था और विहिप को यह आंदोलन सौंपा था। अपने मठ, मंदिर, आश्रम छोड़ कर जिस प्रकार संतों ने गली-गली व गांव-गांव घूमकर जागरण किया, उसके लिए सम्पूर्ण हिंदू समाज उनका कृतज्ञ रहेगा।”

उल्लेखनीय है कि प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की एक संविधान पीठ ने शनिवार को अयोध्या विवाद पर अपना फैसला सुनाया। फैसले में न्यायालय ने विवादित जमीन एक ट्रस्ट को दे दी, जिसका गठन केंद्र सरकार तीन महीने के भीतर करेगी। ट्रस्ट उस जमीन पर राम मंदिर का निर्माण कराएगा। न्यायालय ने इसके साथ ही मस्जिद निर्माण के लिए अयोध्या में अलग से पांच एकड़ जमीन देने का भी निर्देश दिया।

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