श्रमकि स्पेशल ट्रेन चलाने के दौरान एक मई के बाद से रेलवे परिसर में 110 श्रमिकों की मौत हो चुकी है। वहीं राज्यों से मिले आकड़ों के अनुसार 63.07 लाख श्रमिक मज़दूर 4,611 श्रमकि स्पेशल ट्रेनों से अपने घर पहुंचे हैं। श्रमिकों की मौत पर राज्यों का कहना है कि, “इनमें से 110 लोगों की मौत अलग-अलग कारणों से हुई है”।
श्रमकि स्पेशल ट्रेन चलाने के दौरान एक मई के बाद से रेलवे परिसर में 110 श्रमिकों की मौत हो चुकी है।
वहीं राज्यों से मिले आकड़ों के अनुसार 63.07 लाख श्रमिक मज़दूर 4,611 श्रमकि स्पेशल ट्रेनों से अपने घर पहुंचे हैं
श्रमिकों की मौत पर राज्यों का कहना है कि, “इनमें से 110 लोगों की मौत अलग-अलग कारणों से हुई है।
कई श्रमिकों की मौत तो गुमनाम ही रह गईं, उनकी लाशें भी नहीं बरामद हुई हैं।
श्रमिक स्पेशल ट्रेनों, रेलवे परिसर में श्रमिकों की मौत को लेकर सरकार पर अलग-अलग अदालतों में मुकदमा चल रहा है।
लेकिन सरकार अदालतों में लगातार दावा कर रही है कि, किसी भी श्रमिक की मौत भूख – प्यास से नहीं हुई है। क्योंकि हर रेलवे स्टेशन पर उनके खाने-पिने की भरपूर व्यवस्था की गई थी।
2019 में सरकार ने एक आंकड़ा पेश किया था, जिसमें उन्होंने कहा था की इस साल किसी की भी मौत रेल हादसे में नहीं हुई है।
लेकिन श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में श्रमिकों की मौत को लेकर खोज करने के दौरान एक व्यक्ती ने बताया कि, “2019 में रेलवे परिसर में हर दिन 75 लोगों की मौत होती थी, जिसमें ट्रेन से कटकर मरना, करंट लगना, खंबे से टकराना, ट्रेन से गिर जाना शामिल है।