श्रम कानून कमजोर करने पर केंद्रीय मजदूर संगठनों का देशव्यापी प्रदर्शन

नई दिल्ली – विभिन्न केंद्रीय मजदूर संगठनों ने उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश तथा अन्य राज्यों में श्रम कानूनों को कमजोर करने की कड़ी आलोचना करते हुए को कहा है कि इनके विरुद्ध 22 मई देशव्यापी विरोध प्रदर्शन किया मजदूर संगठनों ने यहां जारी एक बयान में श्रम कानूनों को कमजोर करने की कड़ी निंदा की और इन्हें निर्दयी तथा आपराधिक करार दिया।

श्रम कानूनों ने आरोप लगाया कि राज्य सरकारें केंद्र सरकार की शह पर मजदूर कानूनों को कमजोर कर रही हैं और लंबे अरसे के बाद अर्जित की गई सुविधाओं को वापस ले रही हैं। उन्होंने कहा कि 22 मई को देशभर में इन कानूनों को कमजोर करने के खिलाफ धरने प्रदर्शन किए जाएंगे। नई दिल्ली में राजघाट पर श्रमिक संगठनों के केंद्रीय नेता दिन भर का अनशन करेंगे। इसके साथ ही राज्य की राजधानियों और जिला मुख्यालयों पर भी श्रमिक नेता अनशन पर रहेंगे।

मजदूर संगठनों ने कहा है कि वैश्विक महामारी के कारण मजदूर पहले से ही गहरे दबाव में है उनके सामने जीवन और आजीविका का संकट पैदा हो गया है ऐसे समय में सरकार उनका साथ देना चाहिए लेकिन वह उनके शोषण का रास्ता तैयार कर रही है। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में उद्योगों को आकर्षित करने के लिए 1000 दिन तक श्रम कानूनों को स्थगित कर दिया है।

अन्य राज्यों में भी श्रम कानून कानूनों को शिथिल किया है और अन्य राज्य इस प्रक्रिया में है। गुजरात ने 1200 दिन तक श्रम कानूनों मे छूट देने की प्रक्रिया चल रही है।

विरोध प्रदर्शन की चेतावनी देने मजदूर संगठनों में सेंटर फॉर ट्रेड यूनियन कांग्रेस, आल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस, हिन्द मजदूर सभा, इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस , ट्रेड यूनियन कांग्रेस कमिटी, सेवा, लेफ्ट पीपल्स फ्रंट तथा अन्य मजदूर संगठन शामिल हैं।

मजदूर संगठनों का कहना है कि श्रम कानूनों को कमजोर करना अंतरराष्ट्रीय कानूनों, सम्मेलनों और परंपराओं का भी उल्लंघन है। श्रमिकों ने दशकों के संघर्ष के बाद जिन सुविधाओं को हासिल किया है, उन्हें वापस लेना अपराध है।

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