“सोशल मीडिया के ज़रिए सईद ने पहुँचाई अब तक १० हज़ार लोगों को मदद”

कोरोना कि इस महामारी से आज पूरा विश्व लड़ रहा है भारत भी इससे अछूता नहीं है। भारत एक विकासशील देश है और विकास करते इस देश में अभी हमारे देश में कई हिस्से ऐसे हैं जो अविकसित है जहां पर पूर्ण सुविधाएं नहीं है। किसी भी प्रकार की सामाजिक समस्या आने पर सबसे पहले जो क्षति होती है वह भारत के गांवों में ही होती है क्योंकि वहां पर ना तो पूर्ण रूप से सुविधाएं होती है और ना ही जागरूकता। 

ऐसे मैं प्रत्येक जिम्मेदार व्यक्ति की यह जिम्मेदारी बनती है कि प्रयास करके अपने आसपास लोगों को उस महामारी के संकट में मदद करके राष्ट्रहित में योगदान दें। बिहार पश्चिम चंपारण में एक ऐसे ही युवा सामाजिक कार्यकर्ता मो सईद सिद्दीकी इस महामारी में लोगों के मददगार के साथ साथ प्ररेणास्त्रोत बनकर उभरे हैं। युवा और इनकी संस्था द्वारा अब तक कई हजार लोगों की राशन और जरूरत की चीजों की मदद की जा चुकी है। यह लोग निम्न संस्थाओं से जुड़े हैं  जैसे डीईएफ (डिजिटल एंपावरमेंट फाउंडेशन), लोग जागरण मंच और एकरा (एसोसिएशन फ़ॉर कम्युनिटी रिसर्च एंड एक्शन)। युवा की टीम न सिर्फ जरूरतमंदों की मदद कर रही है बल्कि वह स्वास्थ्य के प्रति लोगों को जागरूक भी कर रही है। इनकी टीम लोगों से अपील करती है उन्हें समझाती है कि वह जहां तक हो सके इस महामारी के दौरान अपने घरों में सीमित रहे बेवजह बिल्कुल घर से बाहर ना निकले।

हम सब जानते हैं कि गांव में अधिकतर लोग कम पढ़े लिखे या अनपढ़ होते हैं उनके पास ना तो जीविका के पूर्ण साधन होते हैं और ना ही मैं अपने स्वास्थ्य के प्रति इतने जागरूक होते हैं । ऐसे में बिहार के 17 जिलों में गठित इनकी संस्था डिजिटल एंपावरमेंट फाउंडेशन की 60 लोगों की टीम का ग्राऊंड लेवल पर 4800 इंटरनेट दीदीयो को  हेल्पलाइन नम्बर इन्होने उपलब्ध कराया। ताकि वे ग्राउंड लेवल पर दूसरे प्रदेश में फंसे हुए जरूरतमंदों की जानकारी साझा कर सकें। 

लोगों  की मदद,जागरूकता फैलाने के साथ-साथ उनको स्वास्थ्य संबंधी सूचनाएं भी उपलब्ध करा रही है साथ ही अब तक इन्होने कई हजार मास्को को लोगों के लिए बंटवाया । इसमें इंटरनेट दीदीयों का सहयोग प्रशंसनीय रहा है  इन्होने मास्क अपने घरों में स्वयं सिले। अपने घर में सभी को पहनाये और आसपास भी बांटे ।बिहार से अधिकतर मजदूर व छात्र दूसरे राज्यों में जाकर अपना भरण पोषण और शिक्षा ग्रहण करते हैं लॉकडाऊन कि ऐसी स्थिति में वहां पर वे फंस चुके हैं। इसमें मदद हेतु भी सईद सिद्दीकी एक सराहनीय कार्य को अंजाम दे रहे हैं। इन्होंने दिखाया है कि सोशल मीडिया का सही उपयोग प्रत्येक व्यक्ति अभावों के दौरान भी  किस प्रकार कर सकता है । 

डिजिटल इंडिया  के इस दौर में आज कई मजदूरो के पास भी स्मार्टफोन पहुंच चुका है ऐसे समय मे सिद्दीकी जी और उनकी टीम ने मिलकर व्हाट्सएप ग्रुप बनाया जिसका नाम रखा गया “जन जन की आवाज” इस ग्रुप का गठन लॉकडाऊन के बाद  25 मार्च को कर दिया गया था। इस ग्रुप से जुड़कर इनकी टीम ने अपने नंबरों को शेयर किया कि वह बिहार में जहां कहीं भी होंते है एक दूसरे की जरूरतमंदों की मदद करते और दूसरे फंसे राज्यों में भी फंसे लोगों की मदद करवाते हैं। इस ग्रुप के जरिए अब तक १० हजार से ज़्यादा लोगों की मदद की जा चुकी है। प्रतिदिन उनके पास अलग-अलग राज्यों से काफी संख्या में फोन आ जाते हैं और मदद की बात रखते हैं ऐसे में युवा सईद जी अपने यथासंभव प्रयासों से उनकी मदद करते हैं। डिजिटल इंडिया के इस दौर में इंटरनेट का सही मायनों में इस्तेमाल करके इन युवाओं ने एक मिसाल कायम की है। 

मदद के लिए ये  या तो उस राज्य में प्रशासन के द्वारा मदद करवाते हैं या फिर उनकी टीम से अगर किसी का कोई जान पहचान वाला वहां होता है तो उससे मदद मांगी जाती है। सारा काम ध्येय और एक दूसरे के लिंक और अपनी समझदारी द्वारा किया जाता है।  मदद की इस प्रक्रिया में कई बार ऐसा भी होता है कि कुछ फंसे हुए मजदूर इन्हें फोन करके अपना रोष प्रकट करते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि इनके द्वारा की गई मदद सरकार की कोई स्कीम है ऐसे में वह गुस्सा होते हैं चिल्लाते हैं कि आप लोग हम लोगों को अपने राज्य बिहार बुला लीजिए ।अपनी मजबूरी को बताते हैं कि उन्हें कितनी परेशानी का सामना दूसरे राज्यों में करना पड़ रहा है वहां उनके साथ किस प्रकार का भेदभाव भी किया जा रहा है भी बताते हैं।  

ऐसी मानसिक विपरीत परिस्थितियों में भी सईद सिद्दीकी जी उन लोगों को समझाते हैं और कोरोनावायरस के समय भी मजबूत रहने को कहते हैं। आज इस मुसीबत के समय लोग सिर्फ आर्थिक या व्यक्तिगत रूप से परेशान नहीं है वह मानसिक रूप से भी परेशान हो रहे हैं ऐसे मैं यह जरूरी हो जाता है कि उन्हें मानसिक सुरक्षा और भरोसा दिया जा सके। 

मुसीबत के दौर में यह एक अच्छी पहल है जिसके जरिए आज वह लोग भी आपस में जुड़ रहे हैं जो एक दूसरे को पहचानते नहीं लेकिन मुसीबत के समय एक दूसरे के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हो रहे हैं। इस टीम से प्रेरणा लेकर ऐसी और भी कई टीमों का गठन अब तक राज्य में हो चुका है। हम सभी जानते हैं कि सरकार इस विषय में कुछ खास कार्य नहीं कर रही है वह अपने फंसे मजदूरों और छात्रों के प्रति असंवेदनशील है। ऐसे में प्रत्येक नागरिक की जिम्मेदारी बनती है कि वह जहां भी है जिस तरह भी सक्षम है एक दूसरे को मदद पहुंचाएं और इंसानियत की मिसाल कायम करें।  आज हर युवा को सईद जी जैसे लोगों से प्रेरणा लेकर समाज में एक कदम आगे बढ़ाते हुए इस महामारी से निपटने के लिए एकजुट होना चाहिए। सरकारों को भी चाहिए कि वे ऐसे युवाओं की हौसला अफजाई करे जिससे समाज में एक सशक्त संदेश जा सकें और प्रत्येक नागरिक अपनी जिम्मेदारियों का उत्साहपूर्वक निर्वाह करें।

                                                                                                                                                                                                  – पवन तिवारी

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