COP14: मोदी ने दक्षिण-दक्षिण सहयोग को बढ़ाने का आह्वान किया

ग्रेटर नोएडा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ग्रेटर नोएडा के एक्सपो मार्ट में चल रहे 12 दिवसीय कॉप-14 (Conference of Parties) कॉन्‍फ्रेंस को संबोधित किया। इस दौरान पीएम मोदी ने ग्लोबल वॉर्मिंग (Global Warming), जलवायु परिवर्तन (Climate Change) और नष्ट होती जैव विविधता, मरुस्थलीकरण जैसे बढ़ते खतरों पर चिंता जाहिर की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस कार्यक्रम में जलवायु परिवर्तन, मरुस्थलीकरण और भू-क्षरण की समस्या से निपटने के लिए दक्षिण-दक्षिण सहयोग को और बढ़ाने की भी वकालत की।

पीएम मोदी ने ऐलान किया कि भारत सरकार 2030 तक 2.6 करोड़ हेक्टेयर बंजर जमीन को उपजाऊ बनाएगा. पहले ये लक्ष्य 2.1 करोड़ हेक्टेयर था। उन्होंने बताया कि 2015 और 2017 के बीच भारत में पेड़ और जंगल के दायरे में आठ लाख हेक्टेयर की बढ़ोतरी हुई है। मोदी ने यह भी कहा कि भारत जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता और भूमि क्षरण जैसे क्षेत्रों में व्यापक दक्षिण-दक्षिण सहयोग बढ़ाने के लिए उपायों का प्रस्ताव रख कर प्रसन्नता महसूस कर रहा है।

धरती हमारी मां, इसे बचाने की जरूरत

पीएम मोदी ने कहा कि भारत के संस्कारों में धरती पवित्र है। हर सुबह जमीन पर पैर रखने से पहले हम धरती से माफी मांगते हैं। पीएम बोले कि आज दुनिया में लोगों को क्लाइमेट चेंज के मसले पर नकारात्मक सोच का सामना करना पड़ रहा है। इसकी वजह से समुद्रों का जल स्तर बढ़ रहा है, बारिश, बाढ़ और तूफान हर जगह इसका असर देखने को मिल रहा है। पर्यावरण बचाने के लिए हमें सबसे पहले अपने व्यवहार में बदलाव लाने की जरूरत है।

इस मौके पर केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि भारत ने बढ़ते मरुस्‍थलीकरण से धरती को बचाने की दिशा में कई कदम उठाए हैं। पर्यावरण संरक्षण को लेकर भारत ने उल्‍लेखनीय काम किया है। यही वजह है कि दुनिया के 77 फीसदी बाघ केवल भारत में हैं।

जावड़ेकर ने आगे बताया कि भारत ने बढ़ती ग्‍लोबल वर्मिंग और प्रदूषण से निपटने के लिए टैक्स में छूट देकर ई-वाहनों को भी बढ़ावा दिया है। अगर इंसान के कामों से पर्यावरण परिवर्तन हुआ है, तो उसी के सकारात्मक योगदान से ही उसमें सुधार भी लाया जाएगा।

बता दें कि ग्रेटर नोएडा में हो रहे इस कार्यक्रम में दुनिया के 190 से अधिक देशों के प्रतिनिधि शिरकत कर रहे हैं। कॉन्फ्रेंस ऑफ द पार्टीज यानी कॉप, कंवेंशन का सर्वोच्च निर्णायक निकाय है। कन्वेंशन के सभी राज्य जो इसके प्रतिनिधि हैं। वह सभी कॉप में हिस्सा लेकर यह विचार विमर्श करते हैं कि जो बातें पिछले कंवेंशन में तय हुई थी, वह लागू हुई हैं कि नहीं।

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