“रौशन मुझ से गुरेज़ाँ है तो शिकवा भी नहीं, मेरे ग़म–ख़ाने में अब कुछ ऐसा अँधेरा भी नहीं“
कहते हैं कि जिंदगी में कुछ कर गुजरने की ठान ली जाए तो रास्ते में आने वाली हर मुश्किलें आसान हो जाती हैं | तमाम मुश्किलों का सामना करते हुए बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के एक छोटे से गांव की रहने वाली रोशन ने कुछ ऐसा ही कर दिखाया| जिससे आज पूरे गांव वालों को नाज है।
रौशन और उसके पति पैरों से विकलांग हैं। फिर भी हिम्मत किसी पहलवान से कम नहीं। अपनी मेहनत की बदौलत उसने वो कर दिखाया जो दूसरों के लिए एक मिसाल है। चूड़ी और कंगन बनाकर बेचने वाली ये दंपति इलाके में चूड़ी वाली दीदी के नाम से मशहूर हो चुकी है। उसकी कमाई अब लाखों में पहुंच चुकी है। और साथ ही गांव के दूसरे लोगों को भी रोजगार मुहैया कारती है।
दो साल पहले भारत सरकार ने भी रौशन को उसके उद्दमिता कौशल के लिए सम्मानित किया था। रौशन जैसी हिम्मत और लगन आज दूसरों के लिए प्रेरणा बन चुकी है। ऐसे में अब तो रौशन के लिए ये पंक्ति सटीक बैठती है कि…..
“रौशन मुझ से गुरेज़ाँ है तो शिकवा भी नहीं, मेरे ग़म-ख़ाने में अब कुछ ऐसा अँधेरा भी नहीं“
रौशन जैसी दूसरी सफल उद्धमियों को सम्मानित के लिए कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय ने राष्ट्रीय उद्यमिता पुरस्कार, 2019 (National Entrepreneurship Awards, 2019) के चौथे संस्करण की घोषणा की है।
विशेष रूप से डिजाइन किए गए कुल 45 अवॉर्ड्स कैटेगरी में 39 एंटरप्राइज अवॉर्ड्स और 6 एंट्रप्रोन्योरशिप इकोसिस्टम बिल्डर्स अवॉर्ड्स शामिल हैं। सफल आवेदकों को 9 नवंबर, 2019 को कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा सम्मानित किया जाएगा।
अधिक जानकारी के लिए आप वेबसाइट www.neas.gov.in पर संपर्क कर सकते हैं।
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