स्वास्थ्य विभाग द्वारा होम क्वॉरेंटाइन की सूचना करने के बावजूद नगर पंचायत कर्मचारियों की इन मजदूरों के साथ मारपीट
जबरदस्ती इंस्टिट्यूशन क्वॉरेंटाइन करने का आरोप |
पेट की आग बुझाने एवं रोजी-रोटी का जुगाड़ करने मुंबई पहुंचे कुरखेड़ा के मजदूरों को लोकडाउना के चलते हैं काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा वही गांव लौटने के बाद स्थानीय प्रशासन उनके साथ मारपीट एवं दुर्व्यवहार करने के मामले सामने आ रहे हैं।
ऐसा ही एक मामला कुरखेड़ा में देखने को मिला प्राप्त जानकारी के अनुसार कुरखेड़ा निवासी बालकृष्ण केवलराम वीके नामक मजदूर मजदूरी हेतु मुंबई गया हुआ था लव डॉन के चलते सारे काम ठप हो गए तथा ठेकेदार ने मजदूरों को यहां से 26 किलोमीटर दूर वर्षा तक लग्जरी से लाकर छोड़ा वहां से 26 किलोमीटर दूर कुरखेड़ा में वह पैदल चलकर आए यहां पहुंचते ही उन्होंने अस्पताल का रुख किया स्वास्थ्य कर्मियों ने उनकी जांच की तथा उन्हें करुणा संबंधी कोई लक्षण नहीं होने की बात कहकर घर में ही रहकर करंट टाइम होने की सूचना की तथा एक पत्र देकर घर के लिए रवाना कर दिया।
अभी घर पहुंचने वाले थे कि रास्ते में नगर पंचायत के कर्मियों ने इनका रास्ता रोका तथा इन्हें अस्पताल चलने को कहा क्योंकि मजदूर थके आ रहे थे उन्होंने इन कर्मचारियों को बताने की कोशिश की के वह अस्पताल जाकर आ चुके हैं उनकी जांच हो चुकी है उन्होंने वह दस्तावेज भी दिखाएं जिसमें उनकी जांच एवं होम कोरेंटिन संबंधी सूचना लिखी थी मगर उक्त पंचायत कर्मियों ने इन मजदूरों की न तो कोई बात सुनी और नही दस्तावेज देखने की जहमत उठाई वही एक कर्मी द्वारा लकड़ी के काठी से मजदूर की पिटाई कर दी इस दौरान उस मजदूर के पैर में गंभीर चोट आई जिसकी शिकायत उसने स्थानीय थाने में किए जाने की बात कही है|
अब देखना यह है के इन मजदूरों पर जाति करने वाले इन पंचायत कर्मियों पर पुलिस का रुख अपनाती है वही इस संबंध में नगर पंचायत क्या कार्यवाही करती है यह भी आने वाले दिनों में देखने में आएगा।
क्वॉरेंटाइन केंद्रों में सुविधाओं का अभाव |
एक और जहां मजदूरों को घरों से निकालकर क्वॉरेंटाइन केंद्रों में रखने का काम किया जा रहा है वहीं दूसरी ओर इन क्वॉरेंटाइन केंद्रों में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है कुरखेड़ा स्थित विद्या भारती महाविद्यालय में स्थापित किए गए क्वॉरेंटाइन केंद्र पर सुविधाएं ना होने का आरोप मजदूर लगा रहे हैं मजदूरों का कहना है कि उन्हें शौचालय के लिए खुले में जाना पड़ रहा है साथ ही यह ओढ़ने बिछाने की कोई सुविधा नहीं है |
खाना भी उनको घर से मंगाना पड़ रहा है जो वक्त पर उन्हें नहीं मिलता इस हालत में या रह पाना काफी मुश्किल है वही जब हमने इस क्वॉरेंटाइन केंद्र को भेज दी उस वक्त यह सभी मजदूर एक ही चबूतरे पर बैठे हुए थे जिसे देख कर यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिस मकसद से क्वॉरेंटाइन किया गया है वही इनके बीच दूरी का अंतर बिल्कुल ना के बराबर ऐसे में इन मजदूरों को क्वॉरेंटाइन केंद्र में रखकर उल्टे इनकी जान जोखिम में डालने का काम हो रहा है।
एम. ए. नसीर हाशमी